Karma Kand Bhaskar (कर्मकाण्ड भास्कर) – 325
₹224.00
Author | Pt. Ashok Kumar |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | 325-542-2392578 |
Pages | 335 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0060 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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कर्मकाण्ड भास्कर (Karma Kand Bhaskar) वेदों के एक लाख मन्त्रों में कर्मकाण्ड के अस्सी हजार, उपासना काण्ड के सोलह हजार तथा ज्ञानकाण्ड के चार हजार मन्त्र हैं। इनमें सबसे अधिक मन्त्र कर्मका में हैं। इसलिए यह पूर्णतः सिद्ध होता है कि वेदों में कर्मकाण्ड के जित मन्त्र हैं, उतने अन्य किसी विषय के नहीं हैं। इस दृष्टिकोण से यदि यह कहा जाय, कि वेदों में कर्मकाण्ड-भाग की ही प्रधानता है और कर्मकाण्ड-भाग ही वेदों का मुख्य विषय है, तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। यदि वेदों में से कर्मकाण्ड-भाग को निकाल दिया जाय, तो वेद निर्जीव ही हो जायेंगे। इसलिए कर्मकाण्ड-भाग से ही वेद सजीव एवं महत्त्वपूर्ण हैं।
जन्म से लेकर मृत्यु तक जो भी कर्म होते हैं, उनमें वैदिक मन्त्रों का निःसन्देह प्रयोग होता है। क्योंकि बिना वैदिक मन्त्र के कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। वैसे तो कर्मकाण्ड एक महासागर है, इसकी गहराई को मापना किसी के वश में नहीं है। फिर भी आज के इस कलिकाल में कर्मकाण्ड से सम्बन्धित अनेकानेक पुस्तकें प्रकाशकों के द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जिसका अनुसरण वैदिक और कर्मकाण्डी भी कर रहे हैं।
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