Pradosh Vrat Katha (प्रदोष व्रत कथा)
₹25.00
Author | Shri Ram Ji Sharma |
Publisher | Shri Durga Pustak Bhandar Pvt. Ltd. |
Language | Hindi |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 36 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SDPB0040 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha) यदि रविवार के दिन प्रदोष हो तो शिवजी के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा करे। दिन भर निराहार रहकर सूर्य देव की पूजा करे। सूर्य का पूजन सूर्य डूबने के पहले ही कर ले। प्रदोष व्रत में नमक तेल आदि नहीं खाना चाहिये। दिन भर निराहार व्रत रख कर शाम को पूजन करके गेहूँ का आटा, दूप, मिठाई- गुड़, फल आदि खाना चाहिये। एक वर्ष तक नियमित प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के रोग शोक तथा शत्रुओं का नाश होता है और व्रती धन धान्य कीर्ति आदि प्राप्त करता है।
प्रदोष व्रत कथा : प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
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