Prayagaraj Itihas ke Aaine Me (प्रयागराज इतिहास के आईने में)
₹212.00
Author | Gopal Krishna Shrivastva |
Publisher | Bharati Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 978-93-91297-71-8 |
Pages | 104 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | BP0098 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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प्रयागराज इतिहास के आईने में (Prayagaraj Itihas ke Aaine Me) प्राचीनकाल से आजतक के प्रयागराज का वृतांत लिखने का मेरा उद्देश्य आमजन को एक स्थान पर सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना है। धार्मिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्यों एवं उद्धरणो में प्रयागराज तीर्थों का राजा है तो यह नगर शैक्षिक एवं साहित्यिक विरासत के साथ हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा है। राजनैतिक दृष्टिकोण से भी प्रयागराज अपनी अहमियत शुरू से ही बनाये हुये है। प्राचीनकाल में प्रतिष्ठानपुर व वत्स राज्य हो, मध्ययुग में इलाहबास एवं कड़ा/मानिकपुर हो, 1858 ईस्वी में एक दिन की राजधानी बनना हो अथवा ६३ वर्षों तक उत्तर-पश्चिम प्रांत/संयुक्त प्रांत की राजधानी रही हो तथा वर्तमान में देश को १५ में से ७ प्रधानमंत्री देने वाला शहर हो।
यह पुस्तक मेरे लगभग एक वर्ष के प्रयासो का सुफल है। बावजूद इसके मैं इसे वह आधार प्रदान नहीं कर पाया जिसकी परिकल्पना कर मैंने इसे लिखना शुरू किया था। मेरे इस प्रयास में कुछ त्रुटियाँ रह गयी होंगी अथवा मेरे आकलन से कुछ लोग सहमत नहीं होंगे तो अपनी इन कमियों के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। पाठकों द्वारा इस संदर्भ में दिये गये सुझावों का स्वागत रहेगा जिससे यह पुस्तक भविष्य में अधिक परिपूर्ण/उद्देश्यपरक होगी।
फिर भी मैं अपने परिश्रम को फलीभूत समझेंगा यदि प्रयाग के संदर्भ में पाठकगण के ज्ञान में थोड़ी भी अभिवृद्धि होती है।
पुस्तक के सामग्री संकलन हेतु मैं स्वयं प्रयागराज के सभी ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थलों पर गया जहाँ से यथासंभव जानकारी प्राप्त की तथा कैमरे से तमाम फ़ोटोग्राफ़ लिए। इसके अतिरिक्त मैंने तमाम पुस्तकों से घटनाक्रम को नोट किया। निश्चित रूप से आनलाइन सामग्रियों से मुझे अत्याधिक मदद मिली तथा इनमें से कुछ विषयवस्तुओं तथा चित्रों को मैंने अपने लेखन में सम्मिलित किया। इसके लिए मैं मददगार पुस्तकों एवं आनलाइन रचनाकारो के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
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