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Gorakhanath : Nath Sampraday ke Priprekshya Me (गोरखनाथ : नाथ सम्प्रदाय के परिप्रेक्ष्य में)

Original price was: ₹300.00.Current price is: ₹255.00.

Author Dr. Nagendra Nath Upadhyay
Publisher Vishvidyalaya Prakashan
Language Hindi
Edition 3rd edition, 2020
ISBN 978-81-7124-695-3
Pages 241
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code VVP0117
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Description

गोरखनाथ : नाथ सम्प्रदाय के परिप्रेक्ष्य में (Gorakhanath : Nath Sampraday ke Priprekshya Me) गोरखनाथ एक ऐसा नाम है जो समग्र भारतीय समाज, धर्म और साहित्य में समान भाव से चिरपरिचित और सम्मान्य है। प्रायः सभी भारतीय भाषाओं के साहित्यों में इनसे सम्बन्धित रचनाएँ मिल जाएँगी। उनके शिष्य-प्रशिष्यों की परम्परा में भरथरी, गोपीचंद्र, मयनामती आदि से सम्बन्धित प्रभूत लोक-गाथाएँ उपलब्ध हैं। ये सब गोरखनाथ और उनके सम्प्रदाय की लोकप्रियता और महत्ता के प्रमाण हैं।

गोरखनाथ नवीं शती के उदारचेता, कर्मठ, संगठनकर्त्ता, समाजोद्धारक, लोक-रक्षक, योगसाधना के विशिष्ट पुरस्कर्ता महासिद्ध थे। बौद्धों और शैवों में ही नहीं, शाक्तों और कापालिकों में तथा भोटिया साहित्य में भी इनकी महनीयता स्वीकृत है। भारत के सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक की यात्रा करके उन्होंने शैवों का संगठन ही नहीं किया अपितु दलित, पीड़ित और उपेक्षित जनसमाज का उद्धार भी किया। साथ ही, मानवता का संदेश देकर तत्कालीन समाज को स्वस्थ, सबल, चारित्रिक आदर्श के मार्ग पर अग्रसर किया जिस पर चलने के लिए सभी वर्गों और धर्मों के अनुयायियों के लिए द्वार उन्मुक्त था। निस्सन्देह तत्कालीन भारतीय समाज के महनीय धार्मिक, साधनात्मक और चिन्तक मनीषी के रूप में शंकराचार्य के बाद गोरखनाथ का नाम लिया जा सकता है।

डॉ० नागेन्द्रनाथ उपाध्याय ने नाथ सम्प्रदाय और परवर्ती बौद्ध सम्प्रदायों का शोधपूर्ण अध्ययन किया है। इस सम्बन्ध में जो भी सामग्री उपलब्ध है, उसका उन्होंने बड़ी सावधानी से निरीक्षण किया है। गोरक्षनाथ के नाम से प्रचलित भाषा-रचनाओं पर तो उन्होंने विशेष परिश्रम किया है। गोरक्षनाथ अपने काल के परम शक्तिशाली महात्मा थे। उनकी रचनाओं के जो रूप उपलब्ध हैं, वे भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं।

लेखक ने सभी शैलियों की रचनाओं का उत्तम विवेचन किया है। रचनापद्धति और काव्यशैली की दृष्टि से गोरक्षनाथ की रचनाओं में अनेक रूप मिलते हैं। डॉ० नागेन्द्रनाथ ने अध्यवसायपूर्वक प्रामाणिकता के साथ नाथ सम्प्रदाय के परिप्रेक्ष्य में गोरखनाथ पर यह अध्ययन प्रस्तुत किया है। इस विषय का यह प्रामाणिक ग्रन्थ है।

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