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Ayurvediya Rasashastra Ka Udbhava Evam Vikas (आयुर्वेदीय रसशास्त्र का उद्भव एवं विकास)

106.00

Author Dr. Satyendra Kumar Arya
Publisher Chaukhambha Krishnadas Academy
Language Hindi& Sanskrit
Edition 2nd edition, 2003
ISBN 81-218-0141-9
Pages 128
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0587
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Description

आयुर्वेदीय रसशास्त्र का उद्भव एवं विकास (Ayurvediya Rasashastra Ka Udbhava Evam Vikas) आयुर्वेदीय चिकित्सा में रसौषधियों का महत्वपूर्ण स्थान है। आधुनिक समय में जब कि “सल्फाडग्स” तथा “एण्टीबायोटिक्स’ का अन्धाधुन्ध प्रचार एवं प्रसार हो रहा है एवं इनके उपद्रव भी प्रकट हो रहे हैं- बहुत से व्यक्ति आयुर्वेदीय रस द्रव्यों का प्रयोग करने में अपनी सुरक्षा अनुभव करते हैं, क्यों कि “मैटेल्लिक पायनिग” का भय प्रर्दाशत किये जाने पर भी उन्हें इन औषधियों के सेवन से कोई उपद्रव उत्पन्न होता हुआ अनुभव में नहीं आता, इसके विपरीत ये औषधियाँ रोग विरोधी परिणाम शीघ्र उत्पन्न करती हैं।

रसौषधियों का रसायन कर्म की दृष्टि से भी बहुत महत्त्व रहा है। तृतीय शती (ईशवी) के सिद्ध नागार्जुन एवं महाराज सातवाहन को “रासायनिक स्वर्ण” के सेवन से बल एवं वर्चस्व वृद्धि के साथ १५० वर्ष के आयुष्य की प्राप्ति हुई- ऐसा ऐतिहासिक लेख मिलता है, जिसे इतिहासकारों ने भी अवास्त विक नहीं माना है।

रसौषधियों एवं रसायन औषधियों में काष्ठौषधियों तथा खनिजों के साथ- साथ इनकी मूल वस्तु “रस” या “पारद” है। विशेष महत्व होने से पारद या रस का एक ‘शास्त्र’ ही बन गया है। आधुनिक आयुर्वेदीय शिक्षणालयों में इस शास्त्र का “रसतन्त्र” नाम से एक स्वतन्त्र विषय के रूप में अध्ययन- अध्यापन हो रहा है और रस के जिज्ञासुओं के लिए यह एक उत्कण्ठा का प्रसंग है कि रसशास्त्र का उ‌द्भव कब और किसके द्वारा हुआ होगा ।

यह विषय ऐतिहासिक है। रसविद्या के उद्भव एवं विकास से संबन्धित इस विषय पर कोई स्वतन्त्र एवं विवेचनात्मक ऐसा ग्रन्थ हिन्दी में उपलब्ध नहीं है जो लौकिक घरातल पर लिखा गया हो, अतएव विश्वसनीय प्रतीत हो । ऐतिहासिक दृष्टि से जिस किसी रस ग्रन्थ को पढ़ो, उसमें रस- विद्या के आदि प्रणेता के रूप में शिव-पार्वती का उल्लेख मिलता है, “शिव- पार्वती कौन थे, कहाँ थे, किस युग में हुए, “यह किसी को पता नहीं। इस स्थिति में इनकी सत्ता को एक पौराणिक गाथाभर मानकर इनकी उपेक्षा करनी पड़ती है।

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