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Apni Janmpatri Swayam Padhe (अपनी जन्मपत्री स्वयं पढे)

127.00

Author Kaulacharya Jagdish Sharma
Publisher DIAMOND POCKET BOOKS
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2019
ISBN 81-284-0060-6
Pages 192
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code DPB0014
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Description

अपनी जन्मपत्री स्वयं पढे (Apni Janmpatri Swayam Padhe) जन्मकुंडली एक महत्त्वपूर्ण एवं पूज्यनीय दस्तावेज है क्योंकि इसमें ज्योतिष के दिव्य ज्ञान का समावेश होता है तथा श्री गणेश जी को इसका अधिपति माना गया है। जातक को चाहिए कि वह अपनी जन्मकुंडली को बेशकीमती पूज्यनीय दस्तावेज मानकर घर में साफ, शुद्ध, स्थान में भली-भांति साफ लाल वस्त्र आदि में लपेटकर रखें।

जन्मकुंडली को स्टोर, रसोई, अग्नि कोण, नैऋत्य कोण, वायव्य कोण में न रखें, इसके लिए पूर्व दिशा और ईशान्य कोण श्रेष्ठ स्थान हैं। जातक अपनी जन्मकुंडली को प्रथम दायें हाथ से उठाए और वाचक को दायें हाथ से ही दे क्योंकि वाम हस्त को शुभ कार्यों हेतु अशुभ माना गया है अथवा नासिका का जो स्वर चलता हो, कुंडली लेने वाला उसी हाथ से कुंडली लेगा तो फल कथन में सिद्धि प्राप्त होगी। जन्मकुंडली के कटने, फटने अथवा मुड़ने आदि का ख्याल रखें।

जन्मकुंडली को जमीन पर न रखें और न ही गंदे वस्त्र आदि में। जन्मकुंडली को किसी प्रकार के वजन आदि से दबाकर न रखें। ज्योतिषी को चाहिए कि वह जातक की कुंडली अपने दायें हाथ से पकड़े और फल कथन से पूर्व अपने गुरू, गणपति जी और इष्ट का ध्यान अवश्य करें, ऐसा करने से उसे फल कथन करने में दैवीय सहायता प्राप्त होगी। जातक को चाहिए कि जब भी अपनी कुंडली लेकर ज्योतिषी के पास जाए तो दिन के समय का चयन करे और पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास से ज्योतिषी के लिए यथासंभव फल, फूल एवं दक्षिणा आदि लेकर जाए। खाली हाथ जाना वेदोक्त नहीं है।

ज्योतिषी की कही बातों को ध्यानपूर्वक सुनें। अपनी जिज्ञासाओं की पूर्ति करें परन्तु कुतर्क न करें। झूठे और गंदे हाथों से जन्मकुंडली न पकड़ें। सभा में, राह में, चलते-फिरते, हंसी खेल पूर्ण वातावरण में, वाहन में, अविश्वासी लोगों के बीच जन्मकुंडली न देखें और न दिखाएं। किसी विशेष प्रयोजन हेतु ही जन्मकुंडली दिखाएं, अनावश्यक और बार-बार ज्योतिषियों को दिखाने से अनेकों असमंजसताएं उत्पन्न होने की संभावना हो जाती है। जन्मकुंडली विवाह आदि, संस्कार आदि, भवन क्रय-विक्रय आदि, भूमि क्रय-विक्रय आदि, व्यापार आदि, मुहूर्त आदि शुभ कार्यों हेतु अथवा रोग निवारण हेतु ही प्रयोगार्थ लाएं। छोटी-छोटी बातों के लिए जन्मकुंडली का दिखाना त्याज्य माना गया है। इसमें विवाह-विच्छेद एवं कुयोजना से बचने के लिए भी कुंडली दिखाना श्रेष्ठ है।

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