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Vaman Puran (वामन पुराण)

540.00

Author -
Publisher Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2018
ISBN -
Pages 273
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code KH0076
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Description

वामन पुराण (Vaman Puran) आजकल वह समय आगयाहै कि, अधिकांश सनातनधर्मावलंबीगण अंग्रेजीशिक्षा और दीक्षा के प्रप्तावसे सनातनचर्नकी महिमाको नहीं जानते, और कमशः लक्ष्य मार्गसे भ्रष्ट होते जातेहैं, परन्तु तुलसीदासजीके इस वाक्यानुसार किः-

“जब जब होय धर्मकी हानी। बाहिं असुर अधम अभिमानी ॥ तब तब प्रभुधर मनुजशरीरा । हरहिं कृपानिधि सजन पीरा ॥”

भारतधर्ममहामंडलका जन्म हुआ कि, जिसके महोपदेशकगणने पूर्वसागर और दक्षिणसागरतक सनातन धर्मके विजयदुन्दुतिको विघोषित किया। जो लोग धर्मके मागौंको भूलगयेथे उनको सत्य और यथार्थ मार्ग बताया. यह भारतपर्ममहामंडळकाही कार्य था, जिसके द्वारा अंग्रेज, जरमन, इटालियन, अमेरिकन और रशियन लोग सनातनधर्मकी श्रेष्ठताको स्वीकार करके उसके अनुयायी बननेलगे।भारतधर्ममहामंडलके जन्मदाता महामंत्री श्रीमान् १० दीनदयालुजीकी प्रभावशाली ओजस्विनी वक्तृतासे आज पंजाब, बलुचिस्तान, सिंघ, बम्बई, हैदराबादमें सनातनधर्मका डंका बजरहा है।

ऐसे अवसरमें यहभी उचित समझागया कि, वेद उपनिषद्, पुराण, मीमांसा, दर्शन व व्याकरणादिके ग्रंथभी मूल और भाषाटीकासहित छाप कर प्रकाशित किये जाएँ, जिससे उनलोगोंपर जो संस्कृत नहीं पढ़ेहैं सनातनधर्मकी महिमा विदित होजाये कि, हमारे सनातनधर्मके अक्षय भंडारमें कैसे २ मंचरूप लाल भरे पड़हैं। अत एव इसकार्यको अचेत समझकर कतिपय विद्वान् लोगोंने ग्रंथोंको संशोधित करके मूल और भाषाटीकासहित प्रकाशित करनेका विचार किया। इस पुराणमें जो विषय वर्णित हैं वह विषयानुक्रमणिकाके देखनेसे ज्ञात होंगे । बस इतनाही कहना बहुत है कि, यह पुराण एक अमूल्य रत्नहै, उसके पठन पाठनसे अक्षय पुण्यकी प्राप्ति होती है। भगवद्भक्तिचरितामृतपिपासु पाठकगण इस पुराणकी एक एक प्रति भगवद्भक्तिरसास्वादनार्थ अपने पास रखकर सनातनधर्मके अटल सिद्धान्तोंको अवलोकन करे।

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