Sabar Mantra Sagar Vol. 1 (शाबरमन्त्रसागर भाग-1)
₹637.00
Author | S. N. Khandelwal |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2024 |
ISBN | 978-9382443957 |
Pages | 607 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0761 |
Other | Dispatched in 3 days |
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शाबरमन्त्रसागर भाग-1 (Sabar Mantra Sagar Vol. 1) जिस प्रकार प्राचीन ‘मन्त्र-शास्त्र’ आदि गुरु भगवान शिव और शिवा से प्राप्त हैं, वैसे ही शाबर मन्त्र भी शिव व पार्वती से ही प्राप्त है। आदि कात से. समानानार रूप में शायर-मन्त्र ‘प्रयोग’ में आते रहे हैं। शाबर मन्त्रों को प्रणाली लौकिक है, तो भी ‘प्रयोग’ फल-दायक है। अतः शायर मन्त्रों का स्वतः सञ्चरण सम्वर्धन जनसमुदायों में विविध प्रकार से आज भी चल रहा है।
शाबर मन्त्र का अपना विशिष्ट स्वरूप भी है। शावरमन्त्र ‘अनमिल आखर’ रूप है अर्थात् इनके मन्त्रों का कोई अर्थ विदित नहीं होता। कुछ शाबर मन्त्रों में अर्थ निष्पन्न होता है, तो कुछ में नहीं। शाबर मन्त्र भाषा के व्याकरण के बन्धनों से सर्वधा मुक्त रहते हैं। शाबर मन्त्रों में सुधार करने की आज्ञा नहीं है। जिस रूप में शाबर मन्त्र उल्लिखित हैं, उसी रूप में ‘जप’ करने का नियम है। लगता है यह विज्ञान केवल शब्द के स्पन्दनों पर आधारित सा है तथा वे स्पन्दन सूक्ष्म जगत् में अपना लक्ष्य निर्धारित करके कार्यसिद्धि करते हैं। अतः शाबर मन्त्रसाधना सरल भी है। तभी देश के भिन्न-भिन्न भागों में, विविध भाषाओं में एवं असंख्य समादाय वर्गों में शाबर मन्त्र आज भी सुरक्षित है।
‘शाबर मन्त्र-सागर’ के प्रकाशन से शाबर मन्त्रों को साधना और सिद्धि, उनके प्रायोगिक व्यवहार एवं उपयोगिता आदि के सम्बन्ध में तर्क-सम्मत शैली ज्ञान-वर्द्धक बातें जिज्ञासुओं को मालूम हो रही है, यह बहुत हो आनन्द की बात है।
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