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Shakti Sangam Tantram Set of 4 Vols. (शक्तिसङ्गमतन्त्रम् 4 भागो में)

2,040.00

Author Dr. Sudhakar Malviya
Publisher Chaukhamba Sanskrit Series Office
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2nd edition, 2019
ISBN 978-81-7080-395-9
Pages 1774
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0074
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Description

शक्तिसङ्गमतन्त्रम् 4 भागो में (Shakti Sangam Tantram Set of 4 Vols.) भारतदेश में तन्त्रशास्त्र का अद्भुत भण्डार है। तन्त्र एवं यन्त्र पूजन से साधक वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है जिसके लिए वह इस संसार में मनुष्य तन में आया है।साधना से इसे ब्रह्मज्ञान प्रास हो जाता है और आत्मा शुद्ध हो जाती है। आणव मल धुल जाता है।

शक्तिसंगमतन्त्र तान्त्रिक साधकों के लिए अद्वितीय तान्त्रिक ग्रन्थ है। यह मौलिक तन्त्र ग्रन्थ है और शाक्तसम्प्रदाय के सिद्धान्तों का साकल्येन प्रतिपादक है। शक्तिसंगमतन्त्र अक्षोभ्य ऋषि एवं महोग्रतारा (शिव-पार्वती) का संवाद रूप है। इसमें चार खण्ड हैं-

१. कालीखण्ड – इक्कीस पटलों में पूर्ण है। कालनित्याविधि, अष्टाष्टक-निरूपण, पात्र निर्णय, कादिदीक्षा विवरण, मेरुकथन, वीररात्र्यादिनिर्णय, मधुमती सिद्धिविधि, क्रमदीक्षा, सूत्र निर्णय, उपाकर्म, पवित्रारोपण रक्षाविधि एवं कामधेन्वादि योग वर्णित हैं।

२. ताराखण्ड – इकहत्तर पटलों में पूर्ण है। कौलतीर्थ निर्णय, नवरात्र निर्णय, महाचीन क्रम, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरीक्रम, मुद्रासंकेत, पानसंकेत, लतासंकेत, निशापूजा, मुण्डासन, सुन्दरी-साधन और शक्तिपूजा रहस्य आदि वर्णित हैं।

३. सुन्दरीखण्ड – इक्कीस पटलों में पूर्ण है। चक्रयोगादि निरूपण, देश व्यवस्था, पञ्चप्रस्थविवेचन, लतासाधन, अज्ञात दुर्निमित्त एवं महाकाल मन्त्र की विधि प्रतिपादित है। काली १५ नित्याओं का प्रतिपादन है।

४. छिन्नमस्ताखण्ड – ग्यारह पटलों में पूर्ण है। काली आदि दस महा- विद्याओं के अङ्गमन्त्र, विद्यापीठ निर्णय, देशपर्यायादि विवेचन, चक्षुषा शक्तिसमाराधन, पुष्प निर्णय, पर्यायाम्नायादि निर्णय और यन्त्रप्रस्तारादि निर्णय व्याख्यात हैं।

इन चारों खण्डों की इदं प्रथमतया हिन्दी व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है। अनेक तन्त्रग्रन्थों के सम्पादक एवं हिन्दी व्याख्याकार डॉ. सुधाकर मालवीय काशी के लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान् हैं, जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के संस्कृत विभाग से सम्प्रति सेवानिवृत्त हैं। इनके द्वारा संशोधित एवं हिन्दी में व्याख्यात यह ग्रन्थ तान्त्रिक साधकों के लिए अत्यन्त उपादेय है और दार्शनिक विद्वानों एवं शक्ति के उपासकों हेतु संग्रहणीय है।

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