Sapt Saptakiya Kriya Yog Swar Sadhna (सप्त सप्तकीय क्रिया योग स्वर साधना)
₹297.00
Author | Swami Budh Puri |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 1st editoon, 2023 |
ISBN | 978-93-87643-62-8 |
Pages | 184 |
Cover | Paper Back |
Size | 12 x 2 x 12 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0115 |
Other | Dispatched in 3 days |
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सप्त सप्तकीय क्रिया योग स्वर साधना (Sapt Saptakiya Kriya Yog Swar Sadhna) ‘सप्त सप्तकीय क्रिया योग स्वर साधना’ नाम है इस लघु ग्रन्थ का। सात सप्तक अर्थात् 84 स्वर, अथवा 154 श्रुतियाँ और मूलतः आदि शब्द नाद ‘ॐ’ वा ‘१७’ की सम्पूर्ण पिण्ड में, आनन्द रस से पूर्ण जागृति और व्याप्ति का साक्षात्कार करने की साधना पद्धति का नक्शा (Road Map) यह ग्रन्थ है। इस महास्वर साधना के दो प्रवेश द्वार हैं- (1) योग से संगीत, (2) संगीत से योग।
(1) योग परम्परागत साधक जो मन-प्राण को सुषुम्ना पथ में लीन करने की शक्ति रखता है, वह स्वरों को भी सुषुम्ना (मध्य धारा) में से उठाने में समर्थ होकर, सात सप्तक और इसके आर-पार भी स्वर विस्तार कर लेता है।
(2) संगीत विशारद, स्वर शक्ति धारा को सुषुम्ना (कुण्डलिनी शक्ति का पथ) में प्रविष्ट करवाकर दुर्लभ योग साधनाओं (खेचरी, शाम्भवी, महानौलि, अजपा गायत्री आदि) के रहस्यों को अनावृत्त करता है।
योग और संगीत का मिलन होता है आज्ञा चक्र के ऊपर के चित्ताकाश में स्थित पूर्ण चन्द्र के रूप में विकसित बिन्दु के भेदन से। बिन्दु भेदन के बाद इस महासाधना का दुर्लभ पथ प्रकट होता है। बिन्दु से आनन्द सागर (सहस्त्रार के ऊर्ध्वाकाश) तक और फिर वहाँ से कण्ठ क्षेत्र तक। तब साधक का कण्ठ ही दुर्लभ विश्व संगीत की करुण, शान्त, वीर, श्रृंगार, रौद्र आदि रसों की शक्ति स्पन्दनात्मक लहरियों के बहिः प्रसरण का केन्द्र बनता है। वह विश्व संगीत का सृजक बनता है। यह सारी साधना अभ्यासात्मक है, बिल्कुल प्रत्यक्षात्मक है।
यह साधना क्रान्तिकारी ही नहीं रूपान्तरणकारी भी है (Not only revolutionary but at the same time evolutionary also)। इस साधना से मन, प्राण, इन्द्रियों और साधक के व्यक्तित्व में एक तूफान सी हलचल पैदा होगी। पुराना सब कुछ स्वर नाद की प्रचण्ड धारा में बह जायेगा और आनन्द रस से सराबोर उसके व्यक्तित्व में एक अभूतपूर्व रूपान्तरण होगा ही। इसे वह साधक ही नहीं, इर्द-गिर्द का सारा वातावरण भी अनुभव करेगा ही। वह साधक वैश्विक संगीत धारा का स्थूल, सूक्ष्म, सभी मण्डलों में धारक और प्रवाहक बन सकेगा।
ध्यान रहे, यह एक गुरुमुखी प्रायोगिक साधना है। साधना सूत्र तो Road Map है। जैसे परमेश्वर अनन्त है, वैसे ही इस साधना का भी कोई अन्त नहीं। हिमालय से निकली गंगा धारा, समुद्र में मिलने के बाद भी जैसे मिलती ही रहती है, वैसे ही यह साधना भी है।
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