Shri Dakshina Murti Samhita (श्रीदक्षिणामूर्तिसंहिता)
₹361.00
Author | Shri Radheshyam Chaturvedi |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | - |
Pages | 268 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0919 |
Other | Dispatched in 3 days |
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श्रीदक्षिणामूर्तिसंहिता (Shri Dakshina Murti Samhita) श्रीदक्षिणामूर्तिसंहिता भगवान् शिव के अन्यतम स्वरूप भगवान् दक्षिणामूर्ति एवं देवी (पार्वती) का संवाद अर्थात् शिव और पार्वती के प्रश्नोत्तरों का संग्रह-ग्रन्थ है। तान्त्रिक वाड्मय का क्षेत्र अत्यन्त विशाल है। श्रीदक्षिणामूर्त्तिसंहिता उसी विशाल तरणितनूजा की एक लघु कुल्या है। पैंसठ पटलों में उपनिबद्ध यह ग्रन्थ भगवान् शिव एवं पार्वती के बीच विभिन्न प्रकार की गूढ़आध्यात्मिक शक्तियों के स्वरूप एवं उनकी उपासना-विधि के सम्बन्ध में हुए संवाद का संकलन है। इसमें भगवान् शिव ने अनेक शक्तियों, जैसे एकाक्षरलक्ष्मी, महालक्ष्मी, त्रिशक्ति, साम्राज्यप्रदाविद्या, अष्टाक्षरपरंज्योतिविद्या, मातृका, त्रिपुरेश्वरी, पञ्चकोश, ललिता, भैरवी, कल्पलता, महाविद्या, नित्या आदि के मन्त्र, उनके ऋषि, देवता, छन्द, बीज, शक्ति एवं कीलक के साथ न्यासविधि, यन्त्ररचना, ध्यान, जप, हवनीय द्रव्य, हवनविधि आदि का शास्रोक्त विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है।
प्रस्तुत हिन्दी संस्करण का आधार वाराणसी स्थित सरस्वती भवन ग्रन्यालय से प्राप्त मातृका रही है। उसमें पाठान्तरों का उल्लेख पाद-टिप्पणी में किया गया है। व्याख्या करते समय यत्र-तत्र पाद टिप्पणी पाठ अधिक समीचीन प्रतीत हुए, अतः उन्हें मुख्य पाठ माना गया है। व्याख्या को यथासम्भव आक्षरिक अनुवाद के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। पूर्व मातृका में केवल मन्त्रोद्धार उल्लिखिन है। पाठकों के सौकर्य के लिए व्याख्या में उन उद्धृत मन्त्रों का स्वरूप भी कोष्ठकों में लिखा गया है। एक-दो स्थान पर पटल में वर्णित यन्त्र का आकार भी उत्कीर्ण किया गया है। मूल में संकेतिक न्यासों के स्वरूप को अपनी ओर से स्पष्ट उल्लिखित किया गया है। शब्दों के वीजाथों अथवा संख्यार्थों को समझाने के लिए = चिह का प्रयोग किया गया है। आधारमातृका में पटलों के शीर्षक या नाम नहीं थे। इस संस्करण के प्रत्येक पटल को उपयुक्त शीर्षक से संयुक्त करने का यत्न भी किया गया है।
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