Loading...
Get FREE Surprise gift on the purchase of Rs. 2000/- and above.
-14%

Paniniya Shiksha (पाणिनीयशिक्षा)

30.00

Author Ramashankar Mishra
Publisher Chaukhamba Surbharati Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2022
ISBN -
Pages 48
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0627
Other Dispatched in 3 days

 

10 in stock (can be backordered)

Compare

Description

पाणिनीयशिक्षा (Paniniya Shiksha)

चन्चलचूडं चपलैवंत्सकुलैः केलिपरम्।
ध्याय सच्चे ! स्मेरमुखं नन्दसुतं माणवकम्।।

यह सर्वविदित है कि वेदाङ्गभूत व्याकरण-ज्ञान के निमित्त ‘पाणिनीय शिक्षा’ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वेदपुरुष के छः अङ्ग हैं – व्याकरण, ज्योतिष-शास्त्र, निरुक्तशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, कल्पशास्त्र और छन्दःशास्त्र। इनमें से व्याकरणशास्त्र को मुख, ज्योतिषशास्त्र को नेत्र, निरुक्तशास्त्र को श्रोत्र, शिक्षाशास्त्र को घ्राष, कल्पशास्त्र को हाथ और छन्दःशास्त्र को पैर कहा गया है। यह बात इसी पाणिनीय-शिक्षा के दो श्लोकों से ज्ञाब होती है, यथा-

‘छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते।
ज्योतिषामयनं चक्षुनिरुक्तं श्रोत्रमुच्यते।।
शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम्।
तस्मात्साङ्गमधीत्यैव ब्रह्मलोके महीयते’।।

इस उद्धरण से यह प्रतीत होता है कि शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्यौतिष-स्वरूप षडङ्गों के सम्यम् ज्ञान के अनन्तर ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद – इन चार वेदों का साधु परिज्ञान सम्भव है। एतावता शिक्षास्वरूप ‘पाणिनीय-शिक्षा’ का महत्त्व सर्वतोभावेन परिलक्षित है। इसके सर्वातिशायि महत्त्व को मन में विचार कर ही शेमुषीजुषों ने इसे बत्र-तत्र परीक्षा-पाठ्यक्रम में स्थान दिया है। परिक्षार्थियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखकर अन्वय, संस्कृत ब्याख्या और हिन्दी अर्थ सहित यह संस्करण प्रस्तुत किया गया है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Paniniya Shiksha (पाणिनीयशिक्षा)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Navigation
×