Saundarnand Mahakavyam (सौन्दरनन्द महाकाव्यम)
₹136.00
Author | Dr. Ramasankar Tripathi |
Publisher | Chaukhambha Krishnadas Academy |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 495 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0635 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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सौन्दरनन्द महाकाव्यम (Saundarnand Mahakavyam) महाकाव्य ‘सौन्दरनन्द’ का यह नवीन संस्करण सरस्वती के सेवकों की सेवा में प्रस्तुत होने जा रहा है। ‘छात्रों को अधिक से अधिक सहायता पहुँचाई जा सके’ इस बात को ध्यान में रखते हुए यह संस्करण तैयार किया गया है। कोई भी व्यक्ति इस संस्करण के माध्यम से, बिना किसी की सहायता लिए हुए भी, नैसर्गिक कवि अश्व- घोष की कविता के गम्भीर भावों की तलहट्टी तक बनायास पहुँच सकता है, उनके दार्शनिक सन्देशों को हृदयङ्गम कर सकता है। अध्यापकों, बालोचकों तथा नई एवं पुरानी विचारधाराबों के विद्वानों के लिए भी इस संस्करण का उतना ही महत्व हो जितना की छात्रों के लिए- एतदर्थं भी प्रयास किया गया है। प्रारम्भ में अनुसन्धाना- त्मक भूमिका के साथ इस संस्करण को अन्वय, अर्थ, व्याख्या तथा टिप्पणी आदि से सज्जित कर कवि के उद्देश्यभूत दार्शनिक भावों को व्यक्त करने का भरपूर प्रयास किया गया है। उद्देश्य में कहाँ तक सफलता मिली है, इसका आकलन करना मेरा कार्य नहीं है। सक्षेप में यह प्रयास किया गया है कि यह संस्करण काव्य के अर्थ एवं भाव को स्वच्छ दर्पण की भाँति प्रतिबिम्बित कर पाठकों को नम्र अपेक्षित सेवा कर सके।
सौन्दरनन्द का सप्तम एवं दशम सगं गोरखपुर विश्वविद्यालय को परीक्षा में निर्धारित पाठ्ध ग्रंथ था। उस समय मोतीलाल बनारसीदास के यहाँ से हिन्दी अर्थ के साथ यह महाकाव्य प्रकाशित था। किन्तु इससे छात्रों की अपेक्षित सेवा न हो पा रही थी। एतदर्थ विद्वानों के अनवरत अनुरोध पर मेने सौन्दरनन्द के सप्तम एवं दशम सगों को अन्बय, शब्दार्य, अर्थ, टीका तथा टिप्पणी के साथ असकृत कर प्रकाशित कराया था। यह प्रकाशन वि० सं० २०३० (२०-२-१९७४ ई० ) में बाराणसी से हुना था। विद्वानों एवं छात्रों ने इसका खुले हृदय से स्वागत भी किया।
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