Gupt Sadhan Tantra (गुप्तसाधनतंत्र)
₹70.00
Author | Pt. Baldev Prashad |
Publisher | Khemraj Sri Krishnadas Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | - |
ISBN | - |
Pages | 100 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | kh0075 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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गुप्तसाधनतंत्र (Gupt Sadhan Tantra) तंत्र शब्द से श्री शिवजी का कहा हुआ शास्त्र लियाजाता है. स्वभाव ही से दयावती श्रीपार्वतीजी ने लोगों के उपकार के लिये नाना प्रकारसे प्रश्न किये हैं उन्हीं के उत्तर श्रीशङ्कर जी ने दिये हैं। यह श्रीशिवाशिव संवाद ही तन्त्रों के नाम से व्यवहृत होता है-यह “गुप्तसाधन तंत्र” भी उनमें से एक है। किसी बड़े प्रयोजनीय विषयको गुप्त रख- नेको भी तंत्र कहतेहैं। राजनीति में तो ऐसा तंत्र (गुप्तबिचार) सदा हुआही करता है। पहले जब भारतवर्षमें इसी विचारकी साव- धानीसे रक्षा कीजाती थी तो कभी राष्ट्रीय कार्यमें निष्फलता नहीं होती थी।
तंत्रमार्गमें भी बडी उन्नति उस बीचमें हुई यहांतक कि लोग इसी शास्त्रसे सबकुछ सिद्ध करलेते थे । यह ठीकभी है कोई भी काम हो जब वह साङ्गोपाङ्ग सिद्ध कियाजाता है तो अवश्यही फल- दायक होता है।
इस तंत्रमें गुरुशिष्यभाव तंत्रशास्त्रकी आवश्यकता और उसके गुप्त रखनेका प्रयोजन, मंत्रसिद्ध करनेवालेके आचार विचार और नियम मंत्र जपनेकी संख्या इत्यादि उपयोगी कई बातें लिखी हुई हैं। केवल इसी ग्रंथके अनुसार मनुष्य यत्न करै तो सब कार्य सिद्ध होसकतेहैं। इस समयमें वैसे विज्ञ गुरुके अभावसे चाहै कार्य न हो पर जैसे लक्षण इसमें गुरु तथा शिष्योंके लिखेंहैं ऐसा यत्न किया जाय और वैसे योग्य गुरु शिष्य होजायँ तो कार्यसिद्धिमें कुछ भी आपत्ति न आवे। तंत्रशास्त्रके प्रेमी इसको देखकर इससे लाभ उठावें इस आशयसे हम इसका आविष्कार करते हैं।
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