Keshant Sanskar (केशान्त संस्कार)
₹32.00
Author | Dr. Mahendra Pandey |
Publisher | Sampurnananad Sanskrit Vishwavidyalay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | 81-7270-066-0 |
Pages | 60 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSV0049 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
10 in stock (can be backordered)
CompareDescription
केशान्त संस्कार (Keshant Sanskar) संस्कार दो प्रकार के कहे गये हैं- ब्राह्म संस्कार और दैव संस्कार। गर्भाधानादि तथा स्नानान्त ब्राह्म संस्कार है तथा पाक, हविर्यज्ञादिकर्म दैव संस्कार है। गौतमादि महर्षियों ने ब्राह्म संस्कार के आधार पर अड़तालीस, चालीस, पच्चीस तथा सोलह संस्कारों का परिगणन किया है; परन्तु लोक में सोलह संस्कार ही प्रचलित है, यथा-
गर्भाधानमतश्च पुंसवनकं सीमन्तजाताभिधे
नामाख्यं सह निष्क्रमेण च तथान्नप्राशनं कर्म च।
चूडाख्यं व्रतबन्धकोऽप्यथ चतुर्वेदव्रतानां पुरः
केशान्तः सविसर्गकः परिणयः स्यात् षोडशी कर्मणाम् ॥
तथा च-
ते आधान-पुंसवन-सीमन्तोन्नयन-जातकर्म-नामकरण-निष्क्रमणान्नप्राशन कर्णवेध-चौलोपनयन-व्रतादेश-केशान्त-व्रतविसर्ग-समावर्तन-विवाहादयः पञ्चदश संस्काराः।
इस प्रकार इन संस्कारों को मुख्य रूप से ऋषियों ने ‘गर्भाधानादिमृत्युपर्यन्ताः संस्काराः षोडशैव हि’ (सोलह) कहा है। गर्भाधान से लेकर श्मशानान्त (मृत्यु के बाद शरीर का दाह करने तक) जो संस्कार हैं, वे शरीर और आत्मा को उत्तम बनाने के लिए कहे गये हैं। ऋषियों ने स्मृति, गृह्यसूत्र एवं श्रौतसूत्र के माध्यम से संस्कारों के विधि-विधानों को प्रस्तुत किया है।
केशान्त – संस्कार
यह संस्कार समावर्तन और विवाह-संस्कार के पूर्व होता है। केशान्त का अपर नाम गोदान-संस्कार है।
‘गोदानापरपर्यायं केशान्तसंज्ञं हि कर्म शुभं स्यात्’।
‘गावः केशा दीयन्ते यस्मिन्निति’ व्युत्पत्तिः। गवि पृथिव्यां दीयते स्वापार्थमङ्ग गोदानं वा। ‘गोदान-विवाहमध्ये समावर्तनं कार्यम्’ के अनुसारं पहले गोदान (केशान्त) तदनन्तर समावर्तनं तदनन्तर विवाह संस्कार करना चाहिए।
केशान्त-संस्कार-मुहूर्त-विचार
केशान्त-संस्कार का मुहूर्त चूड़ाकरण मुहूर्त के अनुसार होता है; परन्तु यह सोलहवें वर्ष में होता है। जबकि चूड़ाकरण प्रथम वर्ष में या तीसरे वर्ष में होता है। केशान्त-संस्कार में ब्रह्मचर्यावस्था में धारण किये गये सिर के बाल एवं ठोढ़ी (दाढ़ी) के बाल का छेदन करना चाहिए। केशान्त के पूर्व १३ वें वर्ष में महानाम्नी, १४वें वर्ष में महाव्रत, १५वें उपनिषद् व्रत और १६वें वर्ष में गोदान (केशान्त) व्रत करना चाहिए।
Reviews
There are no reviews yet.