Shrimad Bhagwat Gita Tattva Vivechani (श्रीमद्भगवतगीता तत्त्वविवेचनी)
₹170.00
Author | Jai Dayal Goyanka |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 56th edition |
ISBN | - |
Pages | 672 |
Cover | Hard Cover |
Size | 19 x 3 x 27 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0081 |
Other | Code - 3 |
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CompareDescription
श्रीमद्भगवतगीता तत्त्वविवेचनी (Shrimad Bhagwat Gita Tattva Vivechani) भारतीय दर्शनके अनुसार जीवनकी सार्थकता जीवनको सुसंयत करके उसे भगवन्मुखी बनानेमें है, जिससे इस क्षुद्र अल्पकालस्थायी ससीम भौतिक जीवनसे उठकर महान्, शाश्वत एवं असीम, अनन्त जीवनको प्राप्त किया जा सके। हम भारतीयोंकी दृष्टिमें किसी ग्रन्थकी उपयोगिता अथवा उपादेयता इस बातपर निर्भर करती है कि वह हमें जीवनके इस चरम और परम लक्ष्यतक पहुँचानेमें कहाँतक सहायक है। इस दृष्टिसे विचार करनेपर ज्ञात होता है कि श्रीमद्भगवद्गीताका एकमात्र आश्रय (अनुशीलन) ही मानवमात्रको लक्ष्यकी प्राप्ति करा देनेमें सबसे अधिक सहायक, उपयोगी तथा सर्वार्थ सिद्ध सबल साधनके रूपमें कसौटीपर खरा उतरता है।
श्रीमद्भगवद्गीताके इस लोक-कल्याणकारी अवदान और उसकी विश्व-मान्य महत्ताको दृष्टि-पथमें रखकर ही गीताके आत्मोद्धारक अमरसंदेशको जन-जनतक पहुँचानेके उद्देश्यसे गीताप्रेसने श्रीमद्भगवद्गीताके अनेकों छोटे-बड़े संस्करण तथा विस्तृत टीकाएँ प्रकाशित की हैं। उनमें परमश्रद्धेय ब्रह्मलीन जयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रणीत यह’ तत्त्वविवेचनी’ टीका अन्यतम है। इसमें टीकाकारने गीताकी विस्तृत व्याख्यासहित अनेक गूढ़ तात्त्विक रहस्योंको सरल, सुबोध भाषामें उद्घाटित किया है। इस प्रामाणिक, उपयोगी और लोकप्रिय ग्रन्थके अबतक अनेकों संस्करण बहुसंख्यक – लाखों प्रतियोंके रूपमें निकल चुके हैं। मुद्रणकी आधुनिक प्राविधिद्वारा मुद्रित, ऑफसेटकी स्वच्छ, सुन्दर छपाईसे युक्त यह संस्करण पाठकोंका ध्यान आकर्षित करते हुए गीताके पठन-पाठनकी ओर उन्हें अधिकाधिक प्रवृत्त करेगा, ऐसी आशा है। विश्वास है कि प्रेमी पाठक और जिज्ञासुजन इससे विशेष लाभ उठायेंगे।
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