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Aacharang ka Nitishastriya Adhyayan (आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन)

181.00

Author Dr. Priya Darshanashri
Publisher Parshawanath Vidyapeeth, Varanasi
Language Hindi
Edition 1st edition,1995
ISBN -
Pages 300
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code PV00031
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Description

आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन (Aacharang ka Nitishastriya Adhyayan) आचारांग जैन आगम साहित्य का प्राचीनतम ग्रन्थ है। उसके नाम से भी यह स्पष्ट है कि वह मूलतः आचार का ग्रन्थ है। सम्भवतः जैन आचार के प्राचीनतम रूप का प्रतिपादन करनेवाला अन्य कोई ग्रन्थ नहीं हो सकता। यद्यपि आचारांग पर भाषा एवं साहित्यिक दृष्टि से और किसी सीमा तक उसकी विषय वस्तु का अध्ययन हुआ है परन्तु उसके आचार पक्ष का आधुनिक नीतिशास्त्रीय सन्दर्भ में अध्ययन नहीं हो सका था। इसीलिए मैंने इसे अपने अध्ययन का विषय बनाया।

प्रस्तुत ग्रन्थ आठ अध्यायों में विभक्त है। जैन आगम साहित्य नामक प्रथम अध्ययन आचारांग के स्थान एवं महत्त्व का निर्धारण करते हुए उसकी भाषा, रचना एवं विषयवस्तु का विवेचन करता है। द्वितीय अध्याय में आचारांग के नैतिक दर्शन की तात्त्विक पृष्ठभूमि में आत्मा के बन्धन और मुक्ति के स्वरूप की चर्चा की गई है। तृतीय अध्याय में पाश्चात्य नीतिशास्त्र की मौलिक समस्याओं पर आचारांग की दृष्टि से विचार किया गया है जिसमें सापेक्ष और निरपेक्ष नैतिकता के साथ उत्सर्ग और अपवाद की चर्चा करते हुए निश्चय और व्यवहार नैतिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। चतुर्थ अध्याय में पाश्चात्य नीति- शास्त्र में स्वीकृत नैतिक मानदण्डों के सन्दर्भ में आचारांग के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए विधानवाद, सुखवाद, बुद्धिपरतावाद एवं पूर्णतावाद के सिद्धान्त की विवेचना की गई है। पंचम अध्याय आचारांग के नैतिक मनोविज्ञान को एवं षष्ठ अध्याय आचारांग की साधना पद्धति को प्रस्तुत करता है। सप्तम अध्याय पंच महाव्रतों का विवेचन करता है और आठवें एवं अन्तिम अध्याय में श्रमणाचार की विशद विवेचना की गई है।

आचारांग के इस नीतिशास्त्रीय अध्ययन में मैंने आचारांग के साथ तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक दृष्टि से विचार करने के लिए पौर्वात्य और पाश्चात्य आचार दर्शनों के ग्रन्थ का भी प्रयोग किया है तथा किसी सीमा तक पाश्चात्य आचार दर्शन की विवेचन पद्धति को भी अपनाया है और इस प्रकार आचारांग के नीतिशास्त्र के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों ही पक्षों का अध्ययन किया है।

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