Satya Evam Prerak Ghatnayen (सत्य एवं प्रेरक घटनाएँ)
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Author | Bhakt Ram Sharan Das |
Publisher | Gita Press, Gorakhapur |
Language | Hindi |
Edition | 22nd edition |
ISBN | - |
Pages | 111 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 1 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | GP0018 |
Other | Code - 1673 |
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सत्य एवं प्रेरक घटनाएँ (Satya Evam Prerak Ghatnayen) मनुष्य के जीवन में कभी-कभी कोई ऐसी घटना भी घट जाती है, जिससे उस व्यक्ति के स्वभाव में, उसके रहन-सहन तथा विचारों में परिवर्तन आ जाता है। ये घटनाएँ दूसरों को भी प्रेरणा प्रदान करती हैं, विचारों में परिपक्वता लाती हैं और जीवन स्तर को भी ऊँचा उठाती हैं।
आज संसार में पापों की वृद्धि हो रही है और झूठ, कपट, चोरी, हत्या, व्यभिचार एवं अनाचार बढ़ रहे हैं, लोग नीति और धर्म के मार्ग को छोड़कर अनीति एवं अधर्म के मार्ग पर आरूढ़ हो रहे हैं, विलासिता और इन्द्रियलोलुपता बढ़ती जा रही है, भक्ष्या भक्ष्य का विचार उठता जा रहा है, अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है, आतंकवाद और अपहरण की घटनाएँ प्रतिदिन सुनने को मिलती हैं, क्षुद्र स्वार्थ की पूर्ति के लिये निरन्तर हत्याओं का दौर अबाध गति से चल रहा है। असंतोष और असहिष्णुता इतनी बढ़ गयी है कि लोग बात-बात पर आत्महत्या करने लगे हैं, हत्याओं के कारण मनुष्य का जीवन असुरक्षित-सा हो गया है, दम्भ और पाखण्ड की वृद्धि हो रही है-इन सबका कारण सत्संग का अभाव, कुसंग तथा कुशिक्षा का प्रभाव है।
इन विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य, अहिंसा, दया, करुणा, परोपकार, सद्भाव आदि दैवी गुणों से समन्वित घटनाएँ हमें देखने और सुनने को मिलती हैं। इन सत्य घटनाओं को पढ़कर व्यक्ति को सत्प्रेरणा तो प्राप्त होती ही है, इसके साथ ही धर्म और ईश्वर में आस्था तथा विश्वास भी जाग्रत् होता है, जिनसे जीवन सार्थक और कल्याणकारी बनता है।
मानव-जीवन की सार्थकता आध्यात्मिक सुख-शान्ति में है, इसके लिये सदैव जागरूक रहने की आवश्यकता है। चित्त के संशोधन के अनेक उपाय शास्त्रों में वर्णित हैं। परदोष, परनिन्दा, परस्वार्थहरण की भावनाएँ – जो आज मानव को दानव बना रही हैं – इनसे बचने के लिये उच्च आदर्श युक्त सच्ची घटनाएँ सशक्त साधन हैं। इन्हें पढ़कर मनुष्य स्वाभाविक रूप से इन घटनाओं के प्रति आकर्षित होता है और उसे सत्प्रेरणा प्राप्त होती है। इस प्रकार की घटनाएँ जीवन को सफल बनाने में सार्थक हैं।
कुछ वर्षों पूर्व भक्त राम शरण दास पिलखुवा वालों ने सच्ची घटनाएँ भेजी थीं, जिन्हें ‘कल्याण’ में प्रकाशित किया गया था। गोलोकवासी भक्त श्री राम शरण दास जी सनातन धर्म के परम अनुयायी, भगवद्भक्त तथा सात्त्विक एवं परिष्कृत विचारों के लेखक थे। वे पिलखुवा में रहते थे तथा संत प्रेमी थे, संतों का समागम निरन्तर होता रहता था। संतों के मुखा रविन्द से सुनी हुई विलक्षण घटनाएँ तथा इसके अतिरिक्त अन्य कई घटनाएँ, जिनकी जानकारी उन्हें होती, उनकी सत्यता का पता लगाकर उन्होंने ‘कल्याण’ में प्रकाशनार्थ प्रेषित किया। उन्हीं घटनाओं को इस पुस्तक में संगृहीत कर प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
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