Atharva Veda Subhashitavali (अथर्ववेद सुभाषितावली)
₹102.00
Author | Dr. Shri Kapil Dev Dvivedi |
Publisher | Vishv Bharti Anusandhan Parishad |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | 978-81-85246-28-4 |
Pages | 392 |
Cover | Hard Cover |
Size | 12 x 2 x 18 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VBRI0002 |
Other | Dispatched In 1-2 Days |
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अथर्ववेद सुभाषितावली (Atharva Veda Subhashitavali)
अथर्ववेद का महत्त्व : बेद प्रभु की वाणी है। वेद ज्ञान के स्रोत हैं। वेदों में अनन्त ज्ञान भरा हुआ है। वे मानवमात्र के लिए प्रकाश स्तम्भ हैं। अथर्ववेद ज्ञान का विश्वकोश है। इसमें ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद, मनोविज्ञान आदि से सम्बद्ध अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सामग्री प्राप्त होती है। अथर्ववेद में ५९८७ मंत्र हैं। इसका विभाजन काण्ड, सूक्त और मन्त्र के रूप में हुआ है।
अथर्ववेद को ब्रह्मवेद, क्षत्रवेद, भैषज्यवेद आदि भी कहा जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि इसमें ब्रहा या ईश्वर के स्वरूप का विस्तृत वर्णन है। भारतीय दर्शन का मौलिक रूप अथर्ववेद में विस्तार से प्राप्त होता है। ब्रह्मा चारों वेदों का ज्ञाता होता है। वह ज्ञान और विज्ञान में निष्णात होता है, अतः ज्ञान और विज्ञान की दृष्टि से अथर्ववेद रत्नाकर है। इसमें राजधर्म और आयुर्वेद का भी बहुत विस्तार से वर्णन है, अतः इसे क्षत्रवेद और भैषज्यवेद कहा जाता है।
सुभाषित-संकलन : प्रस्तुत संकलन में अथर्ववेद संहिता (शौनकीय शाखा) से ४८६० सुभाषित संग्रह किये गये हैं। सुभाषित ग्रन्थ के प्राण या सार होते हैं। इसमें सूत्ररूप में जीवन की विविध शिक्षाएं दी हुई हैं। ये स्मरणीय हैं। इनमें से कुछ सुभाषितों को जीवन में क्रियात्मक रूप में उतारने पर जीवन पवित्र और उन्नत होता है, मानव की सभी अभिलाषाएँ पूर्ण होती हैं तथा महासंकटों से उद्धार होता है।
सुभाषितों का वर्गीकरण : समरत सुभाषितों को विषय की दृष्टि से २२ भागों में बाँटा गया है। सुविधा के लिए इनके भी उपविभाग किये गये हैं। सारे सुभाषित विषयानुसार अकारादि-क्रम से दिये गये हैं। प्रत्येक विषय से संबद्ध सुभाषित उसी शीर्षक के अन्र्तगत दिये गये हैं।
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