Ayurved Evam Jyotish Dwara Garbhadhan (आयुर्वेद एवं ज्योतिष द्वारा गर्भाधान से पूर्व करे शिशु का लिंग निर्धारण तथा रोग उपचार)
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Author | Dr. Anil Modi |
Publisher | Rupesh Thakur Prasad Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 1st edistion, 2011 |
ISBN | - |
Pages | 132 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 0.5 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | RTP0084 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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आयुर्वेद एवं ज्योतिष द्वारा गर्भाधान से पूर्व करे शिशु का लिंग निर्धारण तथा रोग उपचार (Ayurved Evam Jyotish Dwara Garbhadhan) सामाजिक परिप्रेक्ष्य में १८ वर्ष की लड़की एवं २१ वर्ष का लड़का विवाह योग्य होते हैं। अपने-अपने समाज में विधि-विधान से जातीय विवाह सम्पन्न होने के बाद, स्त्री-पुरुष आपस में पति-पत्नी के महत्वपूर्ण रिश्ते से जाने जाते है। पति-पत्नी के शारीरिक समागम अर्थात् मिलन को समाज ने वैध सम्बन्ध माना है तथा स्वीकार किया है कि वे परस्पर सम्पर्क करें और वंश वृद्धि करें। वंश वृद्धि हेतु प्रत्येक दम्पत्ति को एक पुत्र एवं एक पुत्री चाहिये। कई दम्पत्ति पुत्र प्राप्त करने की लालसा में १, २, ३, ४ तक कन्यायें पैदा करते हैं और अनेक दम्पत्ति कन्या अर्थात् पुत्री प्राप्ति की आकांक्षा में २, ३ पुत्र उत्पन्न कर देते है।
हमने प्रत्यक्ष देखा है यहाँ तक कि हमारे पड़ोसी को दो पुत्र थे। तब भी उन्होंने एक पुत्री पैदा की। ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण मिल जायेंगे। एक पुत्र एवं एक पुत्री प्रत्येक दम्पत्ति को मिल जायेगी तो भारत की जनसंख्या स्वतः नियंत्रण में हो जायेगी। अतः विभिन्न राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार को नसबन्दी की प्राथमिकता नहीं दी। जाकर सभी दम्पत्ति को यह शिक्षा दी जाये जिससे एक पुत्र एवं एक पुत्री ही हो और हम तो सभी राजनेताओं एवं अधिकारियों अफसरों से इस पुस्तक के माध्यम से यह कहना चाहेंगे कि हमारी यह पुस्तक बारहवीं स्टैण्डर्ड में अनिवार्य कर दी जाये। जिससे विवाह पूर्व ही स्त्री-पुरुष को ज्ञान हो सके कि पुत्र एवं पुत्री कब कैसे क्या करने से होते हैं।
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