Beej Ganitam (बीजगणितम)
₹200.00
Author | Devachand Jha |
Publisher | Chaukhamba Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit, Math & Hindi |
Edition | 2018 |
ISBN | - |
Pages | 408 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0307 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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बीजगणितम (Beej Ganitam) ज्योतिष शास्त्र पढ़ने वालों के लिए बीजगणित कितना उपयोगी है यह ज्योतिषज्ञ के लिए अविदित नहीं। विना बीजगणित ज्ञान के ज्योतिष पढ़ना निरर्थक है ऐसा ग्रन्थकार ने स्वयम् अपने सिद्धान्तग्रन्थ के आरम्भ में-
द्विविधगणितमुक्तं व्यक्तमव्यक्तयुक्तं तदवगमननिष्ठः शब्दशास्त्रेपटिष्ठः ।
यदि भवति तदेदं ज्योतिषं भूरिभेदं- प्रपठितुमधिकारी सोऽन्यथा नामधारी ।।
कहकर यह स्पष्ट कर दिया है कि बीजगणित के पूर्णज्ञान के विना ज्योतिष शास्त्र पढ़ने का अधिकार ही नहीं है। भास्करीय बीजगणित पर कई प्राचीन एवं नवीन टीकाएँ भी हैं। किसी में ाश्चात्य गणित की ही भरभार तो किसी में निरर्थक टीकाओं के सम्मिश्रण से एसे बोझिल बना दिया गया है। संयोगतः एसी भी टीका अब दुर्लभ है।
मैंने सविमर्श सुधा के द्वारा इसे अत्याधुनिक बनाने का प्रयास किया है। भास्करीय बीजगणित के किन-किन पंक्तियों से कैसे गुणावयव, महत्तमसमाप- वर्तक अनिश्चित समीकरण आदि जैसे विषय निकलते, इन बातों को अनेक उदाहरण तथा सोत्तर प्रश्नों के द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है। मुझे विश्वास है इस समस्त ग्रन्थ के पूर्णतः अध्ययन से छात्रों को अलग से किसी आधुनिक बीजगणित की आवश्यकता नहीं होगी। चूंकि आधुनिक बीजगणित बहुत विस्तृत है अतः सभी विषयों का सन्निवेश नहीं किया जा सका है, ऐसा करने पर इस ग्रन्थ के साथ न्याय नहीं होता। इस ग्रन्थ के अध्ययन से यदि कुछ भी छात्र लाभान्वित होवें तो मैं अपने श्रम को सार्थक मानूंगा।
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