Bhairav Tantra Siddhi (भैरव तंत्र सिद्धि)
₹120.00
Author | C.M. Srivastava |
Publisher | Manoj Publication |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2022 |
ISBN | 978-81-310-0924-6 |
Pages | 184 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | MP0019 |
Other | Dispatched in 3 days |
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भैरव तंत्र सिद्धि (Bhairav Tantra Siddhi) सिद्धि से पहले को क्रिया साधना कहलाती है और बिना साधना के सिद्धि नहीं मिलती। जटिल साधना के बाद सिद्धि- प्राप्ति में कोई कठिनाई नहीं होती। तांत्रिक कर्मों की सिद्धि के लिए भैरवदेव की कृपा प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इनकी कृपा के बिना तंत्र साधनाओं में विघ्न आते रहते हैं।
अत: सभी प्रकार की तांत्रिक साधनाओं में भैरवदेव का स्मरण आवश्यक है। भैरव सिद्धि के पश्चात् साधक किसी के भी रोग, दुख और भूतादि बाधाओं को दूर करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है। व्यापार-बाधा एवं धन-संबंधी कष्टों का निवारण भी भैरवदेव के स्मरण मात्र से हो जाता है।
तंत्रशास्त्र के आचार्यों ने प्रत्येक तांत्रिक सिद्धि के लिए किए जाने वाले जप और पाठ आदि कमाँ के आरंभ में भैरवदेव का आदेश प्राप्त करने का निर्देश दिया है। इनके अवतार का वर्णन पुराणों में विविध रूप से हुआ है। कहीं ये स्वयं शिव हैं, तो कहीं शिव पुत्र, कहीं द्वार-रक्षक हैं तो कहीं विष्णु स्वरूप हैं।
इसी प्रकार भैरव के उपासना विधानों के अनुसार भी इनके आकाशभैरव, पातालभैरव व स्वर्णाकर्षण भैरव जैसे नामों से भी अनेक विधान प्राप्त होते हैं। इनकी महत्ता एवं बलवत्ता के कारण ही इनकी तंत्रसिद्धि प्राप्त की जाती है। यह पुस्तक समस्त तंत्र साधकों के लिए संग्रह करने योग्य है।
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