Bhava Fal Adhyay (भावफलाध्यायः)
₹45.00
Author | Dr. Ramchandra Pathak |
Publisher | Chaukhamba Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | - |
Pages | 75 |
Cover | Paper Back |
Size | 12 x 1 x 18 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0335 |
Other | Old and Rare Book |
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CompareDescription
भावफलाध्यायः (Bhava Fal Adhyay) भावफलाध्याय जातक के फलकथन के लिए उपयुक्त ग्रन्थ है। जातकशास्त्र नार में या जातक से सम्बन्धित फलादेश में योगों एवं भावों का अतिशय महत्त्व है। इनमें से योग स्वतन्त्र होते हुए भी भावाश्रित होता है। ग्रहयोग कथन में यह स्पष्ट उल्लेख रहता है कि अमुक ग्रह अमुक भाव में अमुक स्थिति में हो तो अमुक योग लगता है। इसके लिए राजयोग या अरिष्ट योग उदाहरणीय है। फलादेश करने में भाव का प्रथम स्थान है। संहिताओं में प्रायशः भावों का फल विवेचित है। बाद में प्रायशः आचार्यों ने जातकशास्त्र के ग्रन्थों में भाव- फलों का विवेचन किया है। ‘चमत्कारचिन्तामणि’ तो केवल भावों पर आधारित ज्योतिष की संग्राह्य पुस्तक है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में भृगु ऋषि एवं लोमश ऋषि की संहिता में से भावफलों का संग्रह किया गया है। ये फल आज भी चमत्कारिक तौर से घटते हैं। यद्यपि ऋषि भेद से भावफलकथन में भी भेद होना स्वाभाविक है तथापि इसके महत्त्व को अनुभवों के आधार पर ज्यादा प्रामाणिक सिद्ध किया जा सकता है। आज भृगु ऋषि के नाम से छपने वाली संहिताओं की भरमार है। इनमें से कतिपय संहिताएँ आपस में ही मेल नहीं खातीं। अतः यह कहना कठिन हो जाता है कि कौन-सी संहिता प्रामाणिक है। संहिता के साथ दूसरी समस्या यह है कि इसमें उपलब्ध श्लोकों में भी कितने श्लोक ऋषि के हैं और कितने बाद में अन्य लोगों द्वारा घुसेड़ दिये गये हैं; यह नहीं कहा जा सकता । तथापि ठाकुर प्रसाद एवं देहाती पुस्तक भण्डार से सम्पादित भृगुसंहिता से निःसंदेह यह प्राचीन तथा प्रामाणिक है। इन संस्करणों में तो केवल हिन्दी में चक्र का फल दिया गया है जबकि ऋषियों ने मूलसंहिता का प्रणयन संस्कृत में किया है।
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