Bhojpuri Sahitya Ke Itihas (भोजपुरी साहित्य के इतिहास)
₹425.00
Author | Dr. Arjun Tiwari |
Publisher | Vishwavidyalay Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2014 |
ISBN | 978-93-5146-034-3 |
Pages | 448 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | VVP0064 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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भोजपुरी साहित्य के इतिहास (Bhojpuri Sahitya Ke Itihas) डॉ० अर्जुन तिवारी के सद्यः लिखित ग्रन्थ ‘भोजपुरी साहित्य के इतिहास’ के कई गो अइसन आयाम बा, जवना के चलते ई संग्रह करे लायक ग्रन्थ बनि पड़ल बा। चूंकि ग्रन्थ के कलमकार डॉ० तिवारीजी लोकतंत्र के चउथा स्तम्भ पत्रिकारिता के माहिर अध्येता आ साधक रहल बानीं, एह से खोज, अन्वेषण आ गवेषणा उहाँ के फितरत रहल बा। उहाँ के जवना पीढ़ी के कीर्तिस्तम्भ पत्रकार हईं, ओह समय के पत्रकार मूलतः साहित्यकार आ साहित्य-पारखी होत रहलन। भोजपुरी साहित्य के आविर्भाव, ओकर उत्तरोत्तर क्रमिक विकास, दशा-दिशा आउर अब तक के ताजातरीन उपलब्धियन के आकलन पारदर्शी बा।
ग्रन्थ के आवरणे से लेखक के दृष्टिबोध के एहसास हो जात बा, जवना पर नयनाभिराम ढंग से भोजपुरी साहित्य के प्रतिनिधि पुरोधा लोगन का सँगहीं भोजपुरी लोकसंस्कृति के जीवंत चित्र उकेरल गइल बा। लोकभाषा आ खासतौर से भोजपुरी के परम हितैषी जॉर्ज ग्रियर्सन आ महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के समरपनों से ग्रन्थकार के नजरिया परिलक्षित होत बा। किताब के हरेक पृष्ठ पर लेखक के खोजी प्रवृत्ति, गहन अध्ययन, अनुसन्धान, सन्दर्भ-ग्रन्थन के व्यापक जाँच-पड़ताल आ अनगिनत अनछुअल पहलुअन पर शोध-विमर्श एकर अइसन खासियत बा, जवन ग्रन्थ के उपादेयता में चार चान लगावत वा। तर्कसंगत ढंग से अध्ययन के वर्गीकरण आ मानक ग्रन्थ से चुनि-चुनि के मानसर के राजहंस मतिन सटीक उद्धरणन के गुथाइल मोती साहित्य-इतिहास-ग्रन्थ के चमकदार बनावे में अहम भूमिका निबाहत बाड़न स। तबे नू, भोजपुरी साहित्य का प्रति अनुराग-रुचि राखे वाला जिज्ञासु आमजनो खातिर ई शोध-ग्रन्थ ओतने उपयोगी-संग्रहणीय बा जतना साहित्य के गहन शोध-अध्येता आ शोधार्थी छात्रन खातिर। एह ग्रन्थ देखिके ई कहल जा सकेला कि एह में भोजपुरी साहित्य के इतिहास के प्रस्थान से अद्यतन अधिकतम बिन्दुअन के ना खाली छुअल गइल बा, बलुक व्यापक आ विशद विमर्शों कइल गइल बा, जवना का केन्द्र-बिन्दु में ग्रन्थकार के सकारात्मक सोच रहल बा। बिसवास बा, भोजपुरी साहित्य के इतिहास के दिसाईं इतिहास रचेवाला एह ऐतिहासिक ग्रन्थ के पुरजोर स्वागत होई। ग्रन्थकार के रचनात्मक शोधी सोच के हमार हार्दिक अभिनन्दन आ सादर नमन !
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