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Bhramar Geet (भ्रमर गीत)

255.00

Author Swami Karpatri Ji Maharaj
Publisher Shankardev Chaitanya Brahmachari
Language Sanskrit Text With Hindi Translation
Edition 2023
ISBN 978-9391512538
Pages 186
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code KJM0022
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Description

भ्रमर गीत (Bhramar Geet) प्रस्तुत पुस्तक ‘भ्रमर गीत’ को संकलयित्री श्रीमती पद्मावती झुनझुनवाला महाराजश्री के शरण में आयीं। उनके शरण में आते ही इस महिला की बालक- पन से ही रसानुगामिनी प्रतिभा निखर उठी। लेखनी कागज पर थिरकने लगी। ‘मीरा’ के विषय में पद्माजी ने एक गम्भीर शोध-ग्रन्थ लिखा जिसे बिद्वानों और भक्तों ने पूर्ण सम्मान दिया और जिस पर वे उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत हुई। पूज्यपाद स्वामीजी महाराज के पास ही मेरा इनसे परिचय हुआ। इनके विशेष अनुरोध पर पूज्यवर ने ‘श्रीम‌द्भागवत’ के दो अंश ‘गोपी- गीत’ और ‘भ्रमर-गीत’ का प्रवचन किया। ‘गोपी गीत’ का प्रवचन तीन चातुर्मास्य में सम्पन्न हुआ, ‘भ्रमर गीत’ का प्रवचन एक हो चातुर्मास्य में सम्पूर्ण करते हुए उन्होंने यह कहा था कि ‘समय बहुत कम है अन्यथा इस पर बहुत विशद व्याख्या हो सकती है।’ पद्माजी ने सम्पूर्ण प्रवचनों को टेप कर लिया था, जो उनके पास आज भी सुव्यवस्थित रखे हुए हैं। महाराजश्री के आदेश से ही इन प्रवचनों को लिपिबद्ध करके उन्हें प्रस्तुत रूप में दिखाया गया था। यह संकलन उन्हें बहुत पसन्द आया और उन्हीं के आदेश से इनको छपवाने को चर्चा भी चली।

इनमें ‘गोपी-गीत’ का कुछ अंश पहले प्रकाशित हो चुका था किन्तु कतिपय अपरिहार्य कारणों से वह पूर्ण प्रकाशित न हो सका। पद्माजी ने ‘भ्रमर-गोत का संकलन मुझे भी दिखाया था। यह ‘संकलन मुझे बहुत पसन्द आया। अतः मैंने इसके प्रकाशन का भार अपने ऊपर लिया। ‘भ्रमर-गोत’ के प्रत्येक पदको व्याख्या में सहृदय-हृदय द्रावक सरसता व्याप्त है। ‘पिवत भागवतं रसमालयम्’ भागवत-रसका लय पर्यन्त पान करना चाहिए यह सन्देश, यथार्थ रूप से इसमें निहित है। प्रत्येक सहृदय व्यक्ति को परम सरस, परम रसिक श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज की रसमयी वाणीका आस्वादन स्वयं करना चाहिए। साथ ही, इस संकलन-ग्रन्थ, ‘भ्रमर-गीत’ के प्रचार-प्रसार द्वारा जन-जन के हृदय में इस रसमयी दिव्यवाणी का संचार कर अपने पावन कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

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