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Corona Shatkam (कोरोनाशतकम्)

55.00

Author Prabhu Nath Divedi
Publisher Sharda Sanskrit Sansthan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 1st edition, 2020
ISBN -
Pages 24
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code SSS0026
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Description

कोरोनाशतकम् (Corona Shatkam) कवि न होउँ नहिं चतुर कहावउँ। मति अनुरूप करुन कछु गावउँ ।। गाना तो था रामजस किन्तु क्या कहूँ? लिखत सुधाकर लिखि गा राहू ! फुरि बोलउँ तऽ दोस नहिं काहू ।। सब कुछ करने-कराने वाले वही हैं। इस नामचीन चीन को क्या कहें? उसने वुहान से निकाल कर कोरोना वायरस को तूफान की तरह चारो ओर झोंक दिया। भारत भला इससे अछूता कैसे रहता! इधर भी सङ्कट आया और गहराया तो देशवासियों की सुरक्षा के लिए सब कुछ दाँव पर लगा कर माननीय प्रधानमन्त्री ने इक्कीस दिन का ‘लॉकडाउन’ लागू कर दिया। देश की सारी गतिविधियाँ ठप हो गयीं। आम नागरिक सामाजिक सुरक्षा के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ से पाबन्द होकर घरों में कैद हो गया।

इसी बीच नवरात्र आया, हम घरों में ही खाली हाथ श्रद्धाभाव से भगवती शक्ति की उपासना करते रहे और कोरोना महामारी के निवारण की प्रार्थना करते रहे। रामलला भी प्रकटे, उनके दर्शनों को लालायित हम घर में ही पड़े सोहर गाते रहे। प्रधानमन्त्री जी के आह्वान पर ताली-थाली-घण्टी-शंख बजाते रहे, दीये जलाते रहे। लगा कि कोरोना डर जायगा, मर जायेगा लेकिन कौन जानता था कि कुछ लोगों की करतूत से अभी और भर जायेगा। अस्तु, जिजीविषा बड़ी चीज है, हमारा संघर्ष जारी है।

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