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Devarchan Paddhati (देवार्चन पद्धति)

170.00

Author Pandit Dev Narayan Gaud
Publisher Daivagya Mandir, Kanpur
Language Hindi Text Sanskrit Translation
Edition 1st edition, 2023
ISBN -
Pages 343
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0098
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Description

देवार्चन पद्धति (Devarchan Paddhati) उपासना में साधना करने वाले को आदि में एकाग्र होना आवश्यक है क्योंकि पूजा कार्य में आप प्रचुर द्रव्य व्यय करके एवं परिश्रम से सारी उच्च कोटि की सामग्री संग्रह करते है। इसके साथ-साथ आपको उस कार्य में समय भी देना पड़ेगा। इतना होने पर तन धन का प्रयोग करते है। यदि आपके मन का और सहयोग हो जाये तो सोने में सुगन्ध का काम होगा। इतना सब होने पर यदि तन मन धन तीनों लड़ बराबर गुधीं होगी तो पुण्य की त्रिवेणी बहना आरम्भ हो जायेगी। यह सब आपके बस की बात है। ऐसा क्यो न करें ऐसा करने से धर्म सर्वत्र आपकी सहायता करेगा। भगवान विष्णु आपमें अजेय पौरूष प्रदान करेगें श्री एवं लक्ष्मी आपके घर पर स्थिर होगीं। कुबेर जी महाराज भण्डार भरेगें। सरस्वती जी बुद्धि, बल और ज्ञान देगीं। सहस्रफणधारी शेष आपकी रक्षा करेगें। यह सारी बातें आपकी ही चेष्टा पर निर्भर करती है। आप मनोयोग पूर्व उपासना आरम्भ करें।

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