Dindayal Hastkala Sankul (दीनदयाल हस्तकला संकुल)
₹1,917.00
Author | Dr. Sushma Singh |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | 978-93-88415-11-8 |
Pages | 140 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0409 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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दीनदयाल हस्तकला संकुल (Dindayal Hastkala Sankul)
अयोध्या मथुरा माया कासी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकां ॥
गंगा के पावन तट के किनारे बसी काशी/वाराणसी/ बनारस धर्म, शिक्षा, आध्यात्म-संस्कृति की सदा से द्योतक रही है। कला, साहित्य, आयुर्वेद, शिक्षा समेत अनेक क्षेत्रों में यह स्थान भारतीय संस्कृति को प्रतिबिम्बित करती है। यह विश्व की सबसे पुरानी शहरों में से तथा भारत में सबसे पवित्र 7 शहरों में से एक है। यह शहर वर्तमान में भी अपने पुराने रीति-रिवाज, धर्म, संस्कार से अपनी पहचान अक्षुण्ण बनाए रखी है। इस शहर ने कई राजाओं के शासन के उतार-चढ़ाव को देखा है। यहाँ कई धर्म-सम्प्रदाय के संत-फकीरों ने शरण ली, अपने अनुभवों को साझा किया, जो इस शहर को और भी विविधताओं से युक्त बनाती है।
कुछ ऐसी ही विविधता लिए काशी में नवीनतम संग्रहालय ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल’ है जिसके मुख्यतः दो प्रभाग है-1. व्यापार सुविधा केन्द्र 2. शिल्प संग्रहालय। यह अपने आप में अनूठा संग्रहालय है। अनूठा इसलिए क्योंकि कला-शिल्प के साथ ही साथ प्राचीनतम से नवीनतम, पारम्परिक से आधुनिक, देशज से पाश्चात्य जैसे विविध आयामों से यह संग्रहालय दर्शकों से रू-ब-रू कराती है। एक दर्शक के नजरिए से यह संग्रहालय बनारस में अद्वितीय स्थान का भी बोध कराती है। अध्ययनार्थी एवं दर्शक, शोध-प्रवृत्ति तथा तफरीह दोनों ही दृष्टिकोण से इस संक्षिप्त पुस्तिका- ‘मोनोग्राफ’ की रचना की गई है।
प्रस्तुत मोनोग्राफ में 3 अध्याय हैं। प्रथम अध्याय ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल एवं ब्राण्ड बनारस : संक्षिप्त अवलोकन’ में उपरोक्त संग्रहालय की संक्षिप्त रूपरेखा देते हुए बनारस के शिल्पों का लघु परिचय दिया गया है। द्वितीय अध्याय ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल : एक विहंगमावलोकन’ में संग्रहालय की परियोजना में सम्मिलित 5 ब्लॉकों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। संकुल में स्थित शिल्प संग्रहालय मूलतः म्यूजियम है जहाँ विविध प्रकार के शिल्प संग्रहित है।
तृतीय अध्याय ‘शिल्प संग्रहालय : विस्तृत विवरण’ में म्यूजियम में प्रदर्शित शिल्पों का क्रमबद्ध विवरण दिया गया है। अध्यायों के साथ ही सम्बन्धित रेखाचित्र भी संलग्न है। अध्यायों के पश्चात् परिशिष्ट, रेखाचित्र एवं चित्र-सूची तथा संदर्भ-सूची संलग्न है।”
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