Ekadsha : Sapindan Shraddh Paddhati (एकाद्शा : सपिण्डन श्राद्ध पद्धति)
₹50.00
Author | Shri Dhar Shastri |
Publisher | Shastri Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition, 2022 |
ISBN | - |
Pages | 148 |
Cover | Paper Back |
Size | 17 x 0.5 x 11 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SP0018 |
Other | Dispach in 1-3 days |
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एकाद्शा : सपिण्डन श्राद्ध पद्धति (Ekadsha : Sapindan Shraddh Paddhati) श्राद्ध किसी बाग-बगीचा-नदी तट पर पीपल वृक्ष के नीचे होता है। जहाँ दश दिन की क्रिया है, वहाँ यदि किया जाय तो उत्तम, कहा गया है। घर द्वार पर यह श्राद्ध नहीं होता। दक्षिण के तीन भाग में शुद्ध मिट्टी से १-१ बीता लम्बी चौड़ी १६ वेदी बना दे। वेदी दक्षिण दिशा की ओर ढालू रहना चाहिए। जिससे उस पर का जल दक्षिण दिशा की ओर बहे अपनी ओर नहीं आए। वेदी को साफ कर ले कोई तिनका, ढेला, कीड़ा आदि नहीं रहे।
शुद्ध जल से वेदी को सींच दे। सभी १६ वेदी के दक्षिण की ओर ८ अंगुल दूर १६ तिप्ता (चट-आसन) हर वेदी के सामने १-१ लगा दें। हर तिप्ता आसन के आगे (वेदी तथा आसन के बीच ) १-१ पत्ता भोजन पात्र के लिए रख दे। हर भोजन पात्र पर १-१ दोनिया अर्धपात्र के लिए रख दे। श्राद्ध स्थल पर-पश्चिम-दक्षिण के कोने में खीर पकाना प्रशस्त कहा गया है। धर्म सिन्धु के अनुसार कुछ ऋषियों ने १६ पिण्ड के लिये १६ पात्रों में खीर पकाने को कहा है। कुछ ऋषियों का मत है कि एक साथ १६ पिण्ड देने पर एक ही पात्र में खीर पकाना चाहिए। देशाचार मानना चाहिए।
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