Goraksha Paddhati Evam Goraksha Yoga Shastram (गोरक्षपद्धतिः एवं गोरक्षयोगशास्त्रम)
₹170.00
Author | Dr. Shyamlesh Kumar Tiwari |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | 97-89386554833 |
Pages | 82 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0300 |
Other | गोरक्षपद्धतिः एवं गोरक्षयोगशास्त्रम (मूल संस्कृत, विस्तृत भूमिका हिंदीव्याख्या एवं टिप्पणी सहित) |
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गोरक्षपद्धतिः एवं गोरक्षयोगशास्त्रम (Goraksha Paddhati Evam Goraksha Yoga Shastram)
योगशास्त्रं पठेनित्यं किमन्यै शास्त्रविस्तरै:।।
यत्ययं चादिनाधस्य निर्गतं वदनाम्वजात्।।
जो नित्य योगशास्त्र का अध्ययन करता है यह अन्य शास्त्र क्यों पड़े, क्योंकि यह स्वयं मागवान आदिनाथ के देह-कमल (मुख पद्दकज) से निर्गत है।।
भगवान गोरक्षनाथ को कौन नहीं जानता उनकी इस अतुल्य कीर्ति का कारण उनके द्वारा योग को निर्धन एवं सर्वहारा वर्ग के लिए उपलब्ध कराना है। गुरु गोरक्षनाथ जी ने कई विषद ग्रन्थ लिखे है जिनमें से कई आज भी विद्वत-वर्ग के लिए प्रहेलिका बनी हैं।
गोरक्षपद्धति दो शतकों में विभाजित है। पहले शतक में जहाँ हठ योग के दार्शनिक पक्ष को मूल यौगिक क्रियाओं के साथ, यथा आसन, पिण्ड विज्ञान, मुद्रा व बंध का वर्णन किया है वहीं पर द्वितीय शतक पूर्णरूपेण षडङ्ग योग के प्रयोगों को वर्णित करता है। इसमे कुण्डलिनी जागरण की जो धारणा इत्यादि क्रियाएँ बताई गई हैं, वैसी कुण्डलिनी योग की बात करने वाले ग्रन्थों में नाम भी नहीं है। दो सौ श्लोकों में स्वयं की शिव पिण्ड से सामरस्य की विधि का वर्णन भगवान शिव के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता है।
गोरक्ष योगशास्त्र आकार में बहुत ही छोटा ग्रन्थ है लेकिन यह अत्यंत उपयोगी ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में भी अनेक योग विधाएं वर्णित हैं एवं इसके सार्वजनिक पाठ का निर्देश है। यह इस तथ्य को प्रदर्शित करता है कि किसी काल खण्ड में योग सम्पूर्ण मानव समाज की साधना का अंग था एवं योग सिद्धान्त जनमानस में अन्य सिद्धान्तों की तरह व्याप्त थे। प्रस्तुत संस्करण में अनुवादक ने महत्त्वपूर्ण टिप्पणीयों के साथा सरल हिन्दी अनुवाद करके पाठकों एवं योगशास्त्र में रूचि रखने वालो के लिये गोरक्ष संहिता एवं गोरक्ष योगशास्त्र कों और अधिक रूचिकर बनाने का प्रयास किया है।
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