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Grah Melapak (ग्रह मेलापक)

25.00

Author Shri Dhar Shastri
Publisher Shastri Prakashan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2013
ISBN -
Pages 32
Cover Paper Back
Size 13 x 0.5 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code SP0004
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Description

ग्रह मेलापक (Grah Melapak) (विवाह के सन्दर्भ में वर-कन्या की कुंडली मिलाना)

प्रत्येक माता-पिता को सदैव यह चिन्ता बनी रहती है, मैं अपने पुत्र अथवा कन्या का विवाह किससे करूँ कि दोनों का दाम्पत्य जीवन सुखी रहे। संतान-सौभाग्य की वृद्धि हो सके। मनुष्य के पास ऐसा कोई माप यंत्र नहीं होने से जन्म कुंडली का आश्रय लेना पड़ता है। यदि जन्म कुंडली शुद्ध बनी है तो उससे व्यक्ति के रूप, रंग, आकार, मानसिक, स्वाभाविक गुण, भावी दाम्पत्य जीवन, सुख-संपत्ति, संतान, सौभाग्य सभी विषयों का परिज्ञान हो जाता है। विवाह के पूर्व वर तथा कन्या की जन्म कुंडली को मिलाया जाता है। जिसे ग्रह मेलापक कहते हैं। जन्म कुंडली मिलाते समय तीन बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए।

१. जन्म लग्न | २. चन्द्र राशि | ३. ग्रहों की स्थिति |

जन्म लग्न से वर अथवा कन्या के रूप-रंग, आकृति, शारीरिक विकास आदि का निरूपण किया जाता है। चन्द्र राशि से वर अथवा कन्या के मानसिक स्वाभाविक गुणों का परिज्ञान होता है। ग्रहों की स्थिति से दोनों का दाम्पत्य जीवन, सुख, संतान, सौभाग्य आदि का विश्लेषण किया जाता है।

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