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Hindi Mantra Maharnava Devi Khand (हिन्दी मंत्र महार्णव देवी खण्ड)

892.00

Author Ram Kumar Rai
Publisher Prachya Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2023
ISBN -
Pages 662
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code RTP0138
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Description

हिन्दी मंत्र महार्णव देवी खण्ड (Hindi Mantra Maharnava Devi Khand) मन्त्रशास्त्र भारत का ऐसा विज्ञान है जिसके चमत्कारों को सुन देखकर सम्पूर्ण विश्व चकित है। इस प्राचीन विज्ञान का अधिकांश विवरण अब प्रायः लुप्त हो चला है जिसके कारण हमें बहुधा इसकी सत्यता तथा प्रामाणिकता पर ही सन्देह होने लगता है। फिर भी, यह एक शाश्वत शास्त्र है। इसकी सत्यता केवल साधना से ही प्रमाणित हो सकती है। इस शास्त्र की प्रतीत होनेवाली अप्रभावकता का मुख्य कारण ज्ञान तथा साधना का अभाव ही है। आज हर व्यक्ति केवल यही चाहता है कि उसे कोई ऐसा मन्त्र बता दिया जाय जिसे पढ्ने मात्र से ही वह चमत्कारिक परिणाम प्राप्त कर ले। परन्तु मन्त्रशास्त्र की प्रत्येक पुस्तक में उल्लेख है कि पुस्तक में लिखा मन्त्र निष्प्रभावी होता है क्योंकि प्रत्येक मन्त्र को जागृत करने के लिए विधिवत साधना की आवश्यकता होती है; और आज कदाचित ही कोई इस प्रकार की कठिन साधना में प्रवृत्त होने का धैर्य नहीं रखता है।

प्राचीनकाल में जब हमारे ऋषिमुनि ऐसी साधनायें करते थे तब उनको तदनुसार सिद्धियाँ भी प्राप्त होती थीं। इस मन्त्रशास्त्र के ही प्रभाव से प्राचीनकाल में मनुष्य न केवल देवताओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता था, वरन् देवों को वशीभूत करके उनसे अपना प्रयोजन भी सिद्ध कर लेता था। इस मन्त्रशास्त के प्रभाव से ही अन्यान्य असुर और राक्षस देवों को पराजित करने में समर्थ हुये थे। परकायप्रवेश, जल तथा अग्नि का स्तम्भन, जल के भीतर अबाध गति, आकाशगमन, ब्राह्माण्ड के विभिन्न लोकों की यात्रा करने की क्षमता, अणिमा, लधिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व, वशित्व तया कामावसायित्व आदि अष्टसिद्धियाँ, मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन, उच्चाटन, शान्ति आदि षटकर्म, शत्रुओं पर विजय, अस्त्र शस्त्रों को प्रभावी या निष्प्रभावी बनाना, इत्यादि अनेक अलौकिक प्रतीत होनेवाले कार्य इस मन्त्रशास्त्र द्वारा ही सम्भव होते थे। आज भी यदि साधना द्वारा इस शास्त्र को सिद्ध कर लिया जाय तो कुछ भी असम्भव नहीं है। परन्तु अब न तो किसी में इतना धैर्य है और न इस शास्त्र की विधियाँ ही कहीं एकत्र सुलभ हैं। मन्त्रमहोदधि (नौका टीका युक्त) के प्रकाशन से इस कमी को बहुत अंशों तक दूर किया गया है, किन्तु उसमें संग्रहीत मन्त्रों का क्षेत्र अपेक्षकृत सीमित होने से एक और अधिक विस्तृत संग्रह की आवश्यकता का सदैव अनुभव किया जाता रहा है।

प्रस्तुत ‘मन्त्र महार्णव’ में इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया गया है। जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका गुण है। इसमें सभी प्रमुख देवताओं, दैत्यों, यक्षों, गन्धर्वो, किन्नरों, योगिनियों, अप्सराओं, देवकन्याओं, नागकन्याओं, राक्षसों और प्रेतादिकों से सम्बद्ध मन्त्र तथा उनके अनुष्ठान के सम्पूर्ण विधान को विधिवत और क्रमानुसार प्रस्तुत किया गया है। इनके अतिरिक्त भारत की प्राचीन रसायन क्रिया, इन्द्रजाल, कल्पादि, स्वप्नसिद्धि, कर्णपिशाचिनी, पुत्रोत्पत्ति और अन्यान्य काम्यकर्मों से सम्बद्ध यथाशक्ति सम्पूर्ण विधियों और तत्सम्बन्धी सामग्री को प्रस्तुत किया गया है। इसमें ऐसी सुगम रीतियाँ बताई गई हैं जिनसे अल्पज्ञ भी सरलता से अनुष्ठान करते हुये अपने इष्ट को सिद्ध कर सकते हैं क्योंकि इष्टदेवता का मन्त्रोद्धार, देवासन, प्राणप्रतिष्ठा, आवरण पूजा, षोडशोपचार पूजन, स्तोत्र, कवच, हृदय, सहस्रनाम आदि सम्पूर्ण पश्चाङ्ग एक ही स्थान पर विधिवत और क्रमानुसार प्रस्तुत किया गया है।

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