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Kulakul Pathgamini Maa Kundalini (कुलाकुल पथगामिनी माँ कुण्डलिनी)

212.00

Author Rakesh Kumar
Publisher PILGRIMS PUBLISHING
Language Hindi
Edition 2015
ISBN 978-93-5076-053-6
Pages 88
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code PGP0137
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Description

कुलाकुल पथगामिनी माँ कुण्डलिनी (Kulakul Pathgamini Maa Kundalini) इस अनन्त ब्रह्माण्ड से जितना भी ले लिया जाय वह प्राप्ति अंशमात्र ही है। हमारी वैदिक संस्कृति में ज्ञान जगत कितना समृद्ध है यह ग्रन्थों में सन्निहित है। युगों से वह जगत में अपना प्रकाश बिखेर रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों, पुराणवेत्ताओं ने लाखों वर्ष पहले ब्रह्माण्ड की जिन आधारभूत संरचनाओं की उपस्थिति को अपने ज्ञान चक्षुओं से देखकर, उनकी स्थिति प्रमाणित कर दी थी, और ज्योतिष इत्यादि के माध्यम से मानव जीवन व अन्य प्राणियों पर पड़ने वाले प्रभावों का स्पष्ट आकलन करके ग्रंथों में अंकित कर दिया था।

आज का विज्ञान अपने समस्त संसाधनों का प्रयोग कर व अकूत धनराशि व्यय कर वहां पहुंच रहा है और सनातन वैदिक ज्ञान की विपुल राशि को वैज्ञानिक परीक्षण का आधार देकर यथार्थ मान रहा है। विगत में ‘मंगल ग्रह’ तक मानवरहित उपग्रह का पहुंच पाना इसी को दर्शा रहा है। निश्चित ही हमें अपनी इस विरासत पर गर्व होता है।

जब हम किसी शक्तिपीठ या अन्य धार्मिक स्थलों पर जाते हैं, तो मन में कुछ अभीष्ट रहता है। जाकर यह संकल्प ही किया जाता है कि हमारा यह अभीष्ट पूरा हो जाय तो हम पुनः यहां आएंगे। ठीक है, परन्तु क्या हम साथ में यह भाव भी नहीं रख सकते कि हम जिस वस्तु या कृपा के पात्र हों हमें वही मिल जाय, जिससे हम उसका समुचित रूप से निर्वहन कर सकें। ऐसा व्यक्त कर पाने पर शायद उनसे हमारी अंतरंगता और बढ़ जाये और हमें उससे अधिक ही प्राप्त हो जाये जितने की हम कामना लेकर गये हैं। ऐसी प्राप्ति होने पर हम उस कृपा को यथोचित ढंग से आत्मसात कर पायेंगे।

हमारे परिवेश के रसमय, रहस्यमय ज्ञान-विज्ञान को आज सम्पूर्ण जगत आत्मसात कर पाने की सोच और भावना रखता है, आवश्यकता है तो ऐसी व्यवस्था की जिसके द्वारा सरल ढंग से यथार्थ को प्रस्तुत किया जा सके। मैं अपने पूज्य श्री गुरु के चरणों में नमन करते हुए, इष्ट को प्रणाम करते हुए अपने स्वर्गीय माता-पिता को नमन-वंदन करते हुए यह कृति राज राजेश्वरी जगजननी मां कामेश्वरी (कामाख्या) को समर्पित करता हूँ, इस कामना के साथ कि मां समग्र को स‌चित-सआनन्द प्रदान करें!

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