Maha Vidyanusthan Paddhati (महाविद्यानुष्ठान पद्धति)
₹50.00
Author | Dr. Ramamilan Mishra |
Publisher | Shree Vedang Sansthan, Prayagraj |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2011 |
ISBN | 978-81-935160-3-4 |
Pages | 62 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SVS0002 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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महाविद्यानुष्ठान पद्धति (Maha Vidyanusthan Paddhati) लोग दुर्गा की आराधना एवं साधना करते देखे जाते हैं जो कि सर्वशक्ति सम्पन्ना एवं त्रैलोक्य जननी हैं इनके अतिरिक्त तंत्र ग्रंथों में प्रख्यात दश महाविद्याओं का नाम सुधी जनों के सामने आता है जो कि अत्यंत गूढ़ एवं रहस्यात्मक है। कहा जाता है कि जब सती के पिता (दक्ष) के घर यज्ञ हो रहा था और आमंत्रण न होने के कारण सती को शिव जी ने उनके पिता के घर जाने से मना कर दिया उस समय शिव जी द्वारा दसों दिशाओं में (१) काली (२) तारा (३) षोडशी (४) भुवनेश्वरी (५) भैरवी (६) छिन्नमस्ता (७) धूमावती (८) बगलामुखी (९) मातंगी तथा (१०) कमला- इन दस महाविद्याओं का स्वरूप देखा गया, जिनकी पृथक् पृथक् साधना विधि मंत्रादि उपलब्ध हैं किन्तु तंत्र ग्रन्थोपलब्ध महाविद्या नामक स्तोत्र एवं जपादि प्रयोग का भी अद्भुत लाभ देखा जाता है।
प्रस्तुत पद्धति में इसी स्तोत्र के अनुष्ठान व मंत्र जप की साधना का निर्देश किया जा रहा है। पूर्ण विश्वास है कि साधक इससे अवश्य ही लाभान्वित होंगे। तंत्र ग्रंथों में यह अत्यंत गुप्त है जिसे भक्त साधकों के हित को ध्यान में रखकर सरल रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसकी पूर्ण तंत्र विधि अत्यन्त क्लिष्ट है तथा सर्वसाध्य नहीं है, अतः हम यहाँ श्रीमहाविद्या की सात्विक किन्तु अत्यन्त प्रभावशाली साधना विधि प्रकाशित कर रहे हैं, इस विधि के अनुपालन से साधक का अनिष्ट नहीं होगा जबकि तंत्र विधि से साधना ह्रास की स्थिति में हानि की संभावना होती है। साधकों से निवेदन है कि इसका प्रयोग किसी के अनिष्ट के लिए नहीं वरन् कल्याण के लिए ही करें।
प्रस्तुत पुस्तक भगवान आशुतोष शिव जी की कृपा से तथा गुरुजनों के आशीर्वाद से मूर्त हो सकी है तदर्थ कोटिशः प्रणाम निवेदन के साथ प्रयाग के तंत्रज्ञ पं. श्री विमलेश द्विवेदी जी का सहयोग पुस्तक की उपादेयता वृद्धि में वन्दनीय है। पुस्तक टंकण में श्री विनोद द्विवेदी जी का अमूल्य योगदान अविस्मरणीय रहेगा, साथ ही अन्य सभी ज्ञात अज्ञात सहयोगियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता समर्पित करते हुए श्रीमहाविद्यानुष्ठानपद्धति का प्रथम संस्करण सर्व कल्याणार्थ समर्पित है। विद्वत् गण दृष्ट त्रुटियों को अवगत कराते हुए हम सबका उपकार करेंगे तदर्थ साभार धन्यवाद।
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