Mandap Kunda Siddhi (मंडपकुण्डसिद्धि:)
₹75.00
Author | Acharya Srinivas Sharma |
Publisher | Chaukhamba Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2021 |
ISBN | 81-218-0111-7 |
Pages | 93 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0389 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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मंडपकुण्डसिद्धि: (Mandap Kunda Siddhi) वर्तमान में मण्डप और कुण्ड के निर्माण को प्रतिपादित करने वाले ग्रन्थ बहुतायत में उपलब्ध है; फिर भी इनका निर्माण एक अत्यन्त ही जटिल कार्य है। वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति किसी भी करणीय कार्य की सरलतम विधि को जानने हेतु उत्सुक रहता है और इस आकांक्षा की पूर्ति श्री विठ्ठल दीक्षितप्रणीत प्रकृत अनुपम ग्रन्थ ‘मण्डपकुण्डसिद्धि’ द्वारा सहज में ही हो जाती है। इस ग्रन्थ में ग्रन्थकार ने अनेक भ्रामक विषयों को भी पूर्णतः निर्णीत किया है, जो कि परमोपयोगी है। ग्रन्थकार ने दस हाथ से प्रारम्भ कर बीस हाथ तक के मण्डपों एवं चतुरस्र, योनि, अर्धचन्द्र, त्रिकोण, वृत्त, षडस्र, पद्म तथा अष्टकोण कुण्डों का ही प्राशस्त्य स्वीकार किया है। इस ग्रन्थ की रचना शक संवत् १५४१ (सन् १६२०) में की गयी है, जैसा कि ग्रन्थ के अन्तिम श्लोक से भी स्पष्ट है- शशियुगतिथिगण्ये याति शाके वरेण्ये विभवशरदि रम्ये मासि शस्ये तपस्ये। शशधरमृतिऋक्षेऽमुष्यपक्षे वलक्षे कमलनयनतिथ्यां भानुमद्वारवत्याम्।
यह ग्रन्थ विषयानुसार तीन अध्यायों में विभक्त है; उनमें से प्रथम अध्याय में मण्डपनिर्माण की विधि प्रतिपादित की गई है। दूसरे अध्याय में कुण्ड निर्माण की विधि एवं उनका माप-स्थान आदि स्पष्ट किया गया है तथा अन्तिम तीसरे अध्याय में कुण्डों के अलंकरणभूत खात-मेखला-नाभि-योनि आदि का निर्माण और उनकी स्थिति को स्पष्ट किया गया है। इस प्रकार मण्डप एवं कुण्डनिर्माण सम्बन्धी जानकारी को समग्र रूप में उपलब्ध कराने में यह ग्रन्थ पूर्णतः समर्थ है।
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