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Nadi Pariksha (नाड़ी परीक्षा)

93.00

Author Abhay Katyayan
Publisher Chaukhamba Surbharti Prakashan
Language Sanskrit Text and Hindi Translation
Edition 2021
ISBN -
Pages 104
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0558
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Description

नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) नाड़ीपरीक्षा के सम्बन्ध में जो ग्रन्थ प्राप्त होते हैं, उनमें प्राचीन ग्रन्थों के रूप में रावणकृत ‘नाड़ीपरीक्षा’ की ख्याति अधिक है । इस ग्रन्थ में कुल ९६ श्लोक हैं, जिसमें नाड़ीपरीक्षा के मूलभूत सिद्धान्तों को भलीभाँति – विवेचित किया गया है। ग्रन्थ की समाप्ति पर कुछ श्लोकों में अरिष्ट लक्षणों का बड़ा ही सटीक तथा स्पष्ट विवेचन है, जिसके अनुसार कुशल वैद्य नाड़ी देखकर तथा । अन्य सर्वाङ्ग लक्षणों के आधार पर यह जान सकता है कि यह व्यक्ति अब जीवित बचेगा या नहीं। इस प्रकार यह ग्रन्थ नाड़ीपरीक्षा हेतु अत्यन्त उपादेय है ।

‘नैदानिकी’ टीका – ग्रन्थ की हिन्दी टीका का नाम ‘नैदानिकी’ रखा गया है। टीका की भाषा सरल, सुबोध तथा व्यावहारिक है। ‘विमर्श’ तथा ‘विवक्षा’ के द्वारा श्लोक के भाव को स्पष्ट किया गया है, जिससे ग्रन्थ का अभिप्राय समझने में वाचकों को कोई कठिनाई न हो। टीका के अन्त में आवश्यक होने से दो परिशिष्ट भी दिये गये हैं। प्रथम परिशिष्ट में यूनानी हकीमों के मत से नाड़ीपरीक्षा समझायी गयी है, जिसके प्रारम्भ में यूनानी चिकित्सासिद्धान्त का सामान्य संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है। द्वितीय परिशिष्ट में आधुनिक चिकित्साविज्ञान के अनुसार नाड़ीपरीक्षा का संक्षिप्त दिग्दर्शन किया गया है। संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है, अतः ज्ञान-विज्ञान से सम्बन्धित सभी शब्द ज्ञान के साथ भारत से ही विदेशों में पहुँचे हैं, वहाँ उन्होंने जो रूप धारण किया है, उसे जहाँ-जहाँ अति आवश्यक लगा है, वहां व्युत्पत्ति के साथ समझा दिया गया है। आशा है यह टीका आयुर्वेद के विद्यार्थियों तथा जिज्ञासु पाठकों के लिये उपयोगी सिद्ध होगी ।

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