Naishadhiya Charit Digdarshanm (नैषधीयचरित दिग्दर्शनम् नैषध प्रश्नोत्तरी 1-5 सर्गः)
₹50.00
Author | Dr. Ramprabha Ojha |
Publisher | Chaukhambha Krishnadas Academy |
Language | Sanskrit |
Edition | 2015 |
ISBN | - |
Pages | 104 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0556 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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नैषधीयचरित दिग्दर्शनम् (Naishadhiya Charit Digdarshanm) महाकवि श्रीहर्प विरचित “नेपधीयचरितमहाकाव्य” संस्कृत साहित्य का अनुपम ग्रन्थ है। इसमें निपधाधिपति “नल” एवं विदर्भभूपति भीम की पुत्री “दमयन्ती” के दाम्पत्यजीवन का केवल शृङ्गारिक वर्णन ही नहीं, अपितु समस्त संस्कृत वाड्मय का सारतत्त्व अत्यन्त कुशलता से ललित पदावली में प्रतिपादित है। महाकवि श्रीहर्ष ने इस महाकाव्य में नल दमयन्ती के पारस्परिक प्रेम-प्रपञ्च के व्याज से भारतीय दर्शन के दुर्गम सिद्धान्तों एवं पाणिनीय व्याकरण के वैज्ञानिक नियमों को अति निपुणतापूर्वक प्रस्तुत किया है। वस्तुतः इस “विद्वदौषध नैषध महाकाव्य” का अधिकारी अध्येता वही है, जो दर्शनशास्त्र की दुरुहता एवं व्याकरणदर्शन की जटिलता को समझने में सक्षम होने के साथ-साथ उत्तम श्रेणी का संहृदय हो।
नैषधीयचरितमहाकाव्य की यद्यपि प्रश्नोत्तरियाँ भी पहले प्रकाशित हो चुकी हैं, किन्तु उनमें परीक्षार्थियों के लिए अपेक्षित मूल ग्रन्थ के अन्तः परीक्षण द्वारा पर्याप्त प्रश्नोत्तर का अभाव देखा जाता है। प्रकृत प्रश्नोत्तरी “नैषधीयचरितदिग्दर्शनम्” नाम से प्रस्तुत की जाती है। इसके प्रारम्भ में “समीक्षात्मक प्रश्नोत्तर खण्ड” है जो मूलग्रन्थ का विधिवत् अध्ययन कर उसके अन्तः परीक्षण द्वारा लिखा गया है। पञ्चसर्गात्मक महत्वपूर्ण सूक्तियों तथा परीक्षाओं में प्रष्टव्य श्लोकों की अन्वय प्रसङ्ग सहित व्याख्या की गयी है। व्याख्यात सूक्तियों एवं श्लोकों के विशेष स्थलों को टिप्पणी-द्वारा स्पष्ट करने के साथ-साथ अलङ्कार, छन्द, ध्वनि, गुण आदि साहित्यशास्त्रीय वैशिष्ट्य का निर्देश करने का भी प्रयास किया गया है।
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