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Narrative Ka Mayajaal (नैरेटिव का मायाजाल)

500.00

Author Balbir Punj
Publisher Prabhat Prakashan Pvt. Ltd
Language Hindi
Edition First Edition
ISBN 9390372674
Pages 400
Cover Paper Back
Size 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
Weight
Item Code AZ0055
Other आखिर हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है? क्या भारत 15 अगस्त, 1947 से पहले एक राष्ट्र नहीं था? क्या भारत में बहुलतावाद, लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता, विदेशियों द्वारा दिया गया कोई उपहार है? क्या ब्रितानियों ने हमें देश का स्वरूप दिया? क्या आक्रांताओं को राष्ट्र-निर्माता कह सकते हैं? द्विराष्ट्र सिद्धांत की सच्चाई क्या है? क्यों छल-बल से समाज में मतांतरण अब भी जारी है? क्यों देश का एक राजनीतिक वर्ग बहुसंख्यकों को तोड़ने हेतु उन्हें जातियों में बाँटकर टकराव, तो अल्पसंख्यकों को मजहब के नाम पर एकजुट रखने का प्रयास करता है? किसने ब्राह्मणों का दानवीकरण किया? हिंदुत्व पर कैसे विषवमन करके फर्जी हिंदू/भगवा आतंकवाद का नैरेटिव बनाया गया? जब भगवान् श्रीराम सनातन भारत की सांस्कृतिक पहचान हैं, तो उनकी जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण में लगभग 500 वर्ष क्यों लग गए? इस प्रकार के कई प्रश्नों के उत्तर और उनमें से जनमे अन्य प्रश्नों का उत्तर क्या हो सकता है, यह सब विमर्श (नैरेटिव) सुनिश्चित करता है।

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