Nath Sampradhay Evam Uski Yogik Tantrik Sadhnaye (नाथ सम्प्रदाय एवं उसकी यौगिक-तांत्रिक साधनायें)
₹297.00
Author | Dr. Shyamakant Dwivedi |
Publisher | Chaukhamba Sanskrit Series Office |
Language | Hindi |
Edition | 1st edition, 2020 |
ISBN | 978-81-7080-534-2 |
Pages | 350 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 2 x 21 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0073 |
Other | Dispatched in 3 days |
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नाथ सम्प्रदाय एवं उसकी यौगिक-तांत्रिक साधनायें (Nath Sampradhay Evam Uski Yogik Tantrik Sadhnaye) नाथ सम्प्रदाय शैव दर्शन की दृष्टि से काश्मीरीय शैव दर्शन (त्रिक दर्शन) से सम्बद्ध है। नाथ पंथ (अवधूत मत) और शङ्कराचार्य के ‘दशनामी शैव सम्प्रदाय’ के अतिरिक्त निम्नांकित समस्त सम्प्रदाय भी ‘शैव सम्प्रदाय’ या ‘माहेश्वर सम्प्रदाय’ या ‘तांत्रिक सम्प्रदाय’ के नाम से अभिहित किये जाते रहे हैं।
(१) नन्दिकेश्वरमत, (२) भैरव मत, (३) लाकुलमत, (४) कारुणिक या कारुकमत, (५) रसेश्वरमत, (६) वाम मत, (७) पाशुपत मत, (८) जंगम मत, (९) सिद्धान्त मत (शैव), (१०) भैरव मत, (११) कौल मत (कुलमार्ग), (१२) महाव्रत मत, (१३) सिद्धान्त मत (रौद्र), (१४) वाम मत, (१५) काला नल, (१६) सोम मत, (१७) भट्ट मत, (१८) कालामुख एवं (१९) कापालिक मत।
नाथ सम्प्रदाय शैव सम्प्रदाय है। ‘वामन पुराण’ में शैवों के चार सम्प्रदाय कहे गये हैं-(१) ‘शैव’, (२) ‘पाशुपत’, (३) ‘कालदमन’ एवं (४) ‘कापालिक’। ‘भामती’ और ‘रत्नप्रभा’ में ‘कालदमन’ के स्थान पर ‘कारुणिक सिद्धान्ती’ कहा गया है। भास्कर ने इन्हें ‘काठकसिद्धान्ती’ एवं यामुनाचार्य ने इन्हें ‘कालामुख’ कहा है। इस प्रकार माहेश्वर सम्प्रदाय चार हैं- (१) ‘पाशुपत’, (२) ‘शैव’, (३) ‘कालामुख’ एवं (४) ‘कापालिक’।
भण्डारकर ने (१) ‘पाशुपत’, (२) ‘शैव सिद्धान्त’, (३) ‘कापालिक’, (४) ‘कालामुख सम्प्रदाय’, (५) ‘काश्मीरी शैव मत’- (क) स्पन्दशास्त्र एवं (ख) प्रत्यभिज्ञा (६) ‘वीर शैव या लिङ्गायत सम्प्रदाय’ के नाम से ६ शैव सम्प्रदायों का उल्लेख किया है। बलदेव उपाध्याय ने (१) ‘पाशुपत मत’, (२) ‘शैव सिद्धान्त मत’, (३) ‘वीर शैवमत’, (४) प्रत्यभिज्ञा दर्शन के नाम से चार शैव सम्प्रदायों का उल्लेख किया है।
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