Padarth Vigyan : Saral Adhyayan (पदार्थ विज्ञान : सरल अध्ययन)
₹255.00
Author | Dr. Hiralal R. Shivhare |
Publisher | Chaukhamba Surbharati Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2021 |
ISBN | 97-89382443032 |
Pages | 434 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSP0609 |
Other | Dispatched in 3 days |
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पदार्थ विज्ञान (Padarth Vigyan) पदार्थ विज्ञान के अध्ययन-अध्यापन के दौरान मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि विद्यार्थियों को यह विषय अत्यन्त नीरस, रूखा व सारहीन प्रतीत होता है। साथ ही आज के आधुनिक वातावरण में जहाँ वे यौवनावस्था की ओर पदार्पण कर रहे होते हैं; विषय-भोग व ऐन्द्रिक सुखों की बोर उनकी रुझान होती है। वहाँ पर आत्मा, परमात्मा, जीवात्मा, मन, इहलोक, परलोक, पुनर्जन्म व धर्म-अधर्म की बातें उनके समझ के बाहर हो जाती हैं। ये सव उन्हें बकवास, ढकोसला तथा अवैज्ञानिक प्रतीत होती हैं। उनके मन में कई शंकाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कुछ विद्यार्थी तो परमात्मा की सत्ता को मानने से ही इन्कार कर देते हैं। वे पाश्चात्य सभ्यता के कायल, आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियों से चकाचौंध तथा पाश्चात्य मतों के अनुयायी होते हैं। उनके मत में ‘Drink and Live’ अर्थात् खाओ, पिओ और मौज करो-यही जिन्दगी है और जिन्दगी में है क्या ? मृत्यु के पश्चात् कुछ भी नहीं। परलोक, धर्म-अधर्म सब मिथ्या व बकवास है।
यह संसार अपने आप विना विश्वस्रष्टा के स्त्री-पुरुष के संयोग से उत्पन्न हो जाता है। वे कहते हैं कि आज के वैज्ञानिक युग में तो टेस्ट ट्यूब में बच्चा पैदा किया जा सकता है, फिर ईश्वर का अस्तित्व क्या ? यह शरीर ही सब कुछ है। जब तक जीवित हैं संसार का उपभोग कर लो। आत्मा-परमात्मा, पुनर्जन्म, स्वर्ग-नरक-मोक्ष आदि की बातें अवैज्ञानिक, तथ्यरहित, आडम्बर एवम् ढकोसला मात्र है। इन गलत अवधारणाओं एवम् मान्यताओं के कारण पदार्थ-विज्ञान उन्हें अवैज्ञानिक प्रतीत होता है; और चूंकि पदार्थ-विज्ञान को ‘नायुर्वेद का प्रवेश द्वार’ कहा गया है. अस्तु आयुर्वेद भी उन्हें अवैज्ञानिक प्रतीत होता है। इन बच्चों की भी कोई गलती नहीं है।
आज के आधुनिक भौतिक तथा भोग प्रधान युग में ऐसा होना तो स्वाभाविक है। इन बच्चों की सभी समस्याओं, शंकाओं व प्रश्नों का उत्तर पुस्तक के नवें अध्याय में समुचित रूप से देने का प्रयास किया गया है और मेरा अपना यह स्वयं का दृढ़ विश्वास है कि अध्याय-९ के अध्ययन से उनकी यानि बच्चों की सभी शंकाएँ निर्मूल हो जायेंगी और पदार्थ विज्ञान तथा आयुर्वेद के वैज्ञानिक होने में उनकी अपनी आस्था बढ़ेगी व दृढ़ होगी ।
पदार्थ-विज्ञान नीरस न रहे तद्हेतु प्रस्तुत पुस्तक को सरल भाषा में, सुबोध तथा सुनम्य बनाते हुए लिखा गया है। पुस्तकान्तर्गत विषयों को समझने में सरलता हो, इसलिए आवश्यकतानुसार यथास्यान चित्र व तालि काएँ भी दी गयी हैं। प्रस्तुत पुस्तक पाठ्यपुस्तक के साथ-साथ मार्गदर्शक (Guide) के रूप में भी कार्य कर सके इस बात का पूर्ण ख्याल रखा गया है। इस पुस्तक में मौखिक प्रश्नोत्तरी तथा वस्तुनिष्ठ से सम्बन्धित प्रश्नों, लिखित परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों तथा पदार्थ-विज्ञान व दर्शन से सम्बन्धित अन्य आवश्यक विषयों का समावेश विद्यार्थियों के लिए परीक्षा में सफलता प्राप्ति के दृष्टिकोण को रखते हुए यथासम्भव अधिक से अधिक किया गया है। पुस्तक के अन्त में आदर्श प्रश्न-पत्र भी दिये गये हैं। पुस्तक भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद्, नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत पाठ्यक्रमानुसार लिखी गयी है। लेखक का पुस्तक लेखन में सम्पूर्ण रूपेण यह प्रयास रहा है कि पुस्तक परीक्षा के दृष्टिकोण से व साथ ही साथ व्यावहारिक दृष्टिकोण से विद्यार्थियों से लिए अति उपयोगी सिद्ध हो। लेखक अपने इस प्रयास में कहाँ तक सफल हो पाता है, इसका निर्णय तो विद्यार्थी एवं सुविज्ञ पाठक ही करेंगे।
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