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Padartha Mimansa (पदार्थ मीमांसा)

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Author Dr. Vaibhav Dadu
Publisher Chaukhambha Viswabharati
Language Sanskrit & English
Edition 2024
ISBN 978-93-91730-09-3
Pages 261
Cover Paper Back
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CVB0017
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Description

पदार्थ मीमांसा (Padartha Mimansa) भारतीय ज्ञान परम्परा में से एक आयुर्वेद विज्ञान अनादि एवं शाखत है जो अपनी मजबूत नीच ‘मौलिक सिद्धान्तों’ के कारण जीवित रहा है और फला-फूला है। आयुर्वेद के मूल सिद्धान्त भारतीय दर्शन पर आधारित है। जीवन की अन्तिम वास्तविकता और सभी पीड़ा और कष्ट का स्थायी अंत दार्शनिक विचारधारा में समझाया गया है। अस्तित्व के गूढ़ और चिरस्थायी प्रत्रों का भारतीय दर्शन के सिद्धान्तों ने उत्तर दिया है। तर्क विज्ञान का आधार होता है जो दर्शन की देन है। दर्शन शास्त्र अज्ञात सत्य की खोज करने के लिए दृष्टि प्रदान करता है। विज्ञान का उद्देश्य भी सत्य की शोध करना है। आयुर्वेद और भारतीय दर्शन के मध्य अत्यन्त निकट का सम्बन्ध है।

आयुर्वेद के मूल सिद्धान्तों (मौलिक सिद्धान्त) के विकास में दार्शनिक सिद्धांतो का योगदान देखा जा सकता है। आयुर्वेद के इन मूल सिद्धान्तों को भारतीय दर्शन (philosophy) ने प्रभावित किया है। अपने उद्देश्यों के अनुसार अपने स्वातंत्र्य को बनाए रखते हुए आयुर्वेद ने दार्शनिक सिद्धान्तों को अपनाया है। यह आयुर्वेद और भारतीय दर्शन में पारस्परिक सम्बन्ध उल्लेखनीय रूप से दिखाई देता है। आयुर्वेद के अध्येता के लिए आयुर्वेद की दार्शनिक पृष्ठभूमि से परिचित होना आवश्यक हो जाता है। इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर आयुर्वेदाचार्य प्रथम वर्ष पाठ्यक्रम में पदार्थ विज्ञान का समावेश किया गया है।

‘पदार्थ विज्ञान’ आयुर्वेद की दार्शनिक पृष्ठभूमि के व्यवस्थित अध्ययन के विषय में बात करता है और आयुर्वेद अवधारणाओं के नैदानिक अनुप्रयोग की उचित तार्किक समझ के लिए आवश्यक आयुर्वेद की मौलिक अवधारणा को उजागर करने का प्रयास करता है।

एक तथ्य यह है कि आयुर्वेद चिकित्सा की समग्र प्रणाली है जिसे चिकित्सा जगत में वर्तमान काल के वैज्ञानिक विकास के अनुरूप अद्यतन करने की आवश्यकता है। लाखों लोग आयुर्वेद को स्वास्थ्य के रखरखाव और व्याधियों के लगातार बढ़ते हुए खतरे के इलाज के लिए आशा की किरण के रूप में देख रहे हैं। आयुर्वेद शिक्षा की गुणवत्ता को उन्नत करने के निरन्तर और ईमानदार प्रयास से बढ़ती उम्मीदों को पूरा किया जा सकता है जिससे कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सकों को जन समुदाय की सेवा करने के लिए प्रेरित किया जा सके। नेशनल कमिशन ऑफ इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन, NCISM ने पदार्थ विज्ञान के महत्वपूर्ण विषय सहित बीएएमएस प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम का एक उत्तम पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए महान प्रयत्न किया है।

इस पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षण पद्धति को शामिल करने से आयुर्वेद की शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। पदार्थ विज्ञान के नवीन पाठ्यक्रम ने प्राचीन ज्ञान और समकालीन विज्ञान का समामेलन किया है। इससे विषय को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। गैर-व्याख्यान (Non-lectures) और गतिविधि आधारित शिक्षा (activity based learning) को शामिल करना NCISM का एक स्वागत योग्य कदम है। ‘पदार्थ मीमांसा’ नामक इस पुस्तक को NCISM, नई दिल्ली द्वारा लागू किए गए, पदार्थ विज्ञान के नए पाठ्यक्रम के अनुसार बनाया गया है। मुझे आशा है कि आयुर्वेद के छात्र और ज्ञानपिपासु के लिए यह पुस्तक इस ‘कठिन विषय’ को आसान तरीके से समझने में मददगार सिद्ध होगी। सम्पूर्ण देश में इस विषय पर कई पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध हैं, परंतु इस विषय पर किया गया यह काम निश्चित रूप से ‘छात्रोपयोगी’ होगा। यह पुस्तक शब्दों की संक्षिप्तता के साथ गुणात्मक कार्य का निर्माण करने का एक ईमानदार प्रयास है।

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