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Pancha Siddhantika (पञ्चसिद्धान्तिका)

467.00

Author Satyadev Sharma
Publisher Chaukhamba Surbharati Prakashan
Language Sanskrit & Hindi
Edition 2019
ISBN 97-89383721573
Pages 280
Cover Hard Cover
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSP0619
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Description

पञ्चसिद्धान्तिका (Pancha Siddhantika) ‘पञ्चसिद्धान्तिका’ का ऐतिहासिक महत्व होने के उपरांत भी इसका प्रभाव भारतीय सिद्धान्त ग्रंथों में नगण्य सा रहा है लेकिन विशेष बात यह हुई की पं.सि. ग्रंथ की परम्परायें चीन की ओर मुखरित हुई तथा आठवीं शताब्दी के चुतानह्निता (Chu-Tan-Hsi-ta) द्वारा ‘चियूचिहलि’ (Chiu-Chih-Li) (AD-718) नाम का सिद्धान्त ग्रंथ लिखा गया जो पं.सि. की विषय सामग्री पर आधारित था। इस ग्रंथ में खगोल शास्त्र संबंधी अनेक नियम दिये गये थे। ज्या मान संबंधि तालिका दी गई थी जो आर्यभट तथा सूर्यसिद्धान्त से मेल खाती थी। नेबर तथा पिंग्री ने निम्न लिखित विशेष बातें इस ग्रंथ में लक्षित की हैं। यथा-

(1) पं.सि. के अध्याय-1 के श्लोक 8 से 11 अनुसार रोमक तथा पौलिशसिद्धान्तानुसार अहर्गण साधन।

(2) पं.सि. के अध्याय 9 के श्लोक-11 तथा 12 (सौरसिद्धान्त) अनुसार सूर्य चन्द्र की मध्यम भुक्ति, चन्द्रौच तथा चंद केन्द्र भुक्ति।

(3) पं.सि. के अध्याय-9 (सौरसिद्धान्त) के श्लोक-7 के अनुसार रविचन्द्र के मन्दफल।

(4) पं.सि. के अध्याय-3 (पौलिशसिद्धान्त) के श्लोक-10 के अनुसार दिनमान गणना।

(5) पं. सि. के अध्याय-3 (पौलिश सिद्धान्त) के श्लोक-9 के अनुसार चन्द्रमा की दैनिक गति।

(6) पं.सि. के अध्याय-3 (पौ.सि.) के श्लोक 17 के अनुसार सूर्य की दैनिक गति।

(7) पं.सि. के अध्याय-3 (पौ.सि.) के श्लोक-16 के अनुसार नक्षत्र, नक्षत्र संक्रान्ति तथा तिथि का आनयन।

(8) पं.सि. के अध्याय-3 (पौ.सि.) के श्लोक 28 के अनुसार चन्द्रपात (राहु) का आनयन।

(9) पं.सि. के अध्याय-9 (सौरसिद्धान्त) के श्लोक-6 के अनुसार चन्द्र का विशेष आनयन।

(10) पं.सि. के अध्याय-6 (पौ.सि.) के श्लोक-3 के अनुसार चन्द्रग्रहण का स्थितिकाल आनयन।

(11) पं.सि. के अध्याय-8 (रोमक सि.) के श्लोक-16 के अनुसार चन्द्र ग्रहण का काल।

इसके अतिरिक्त दक्षिण-पूर्व ऐशिया में पं.सि. का प्रभाव इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि विरला प्राप्त इस ग्रंथ की दो पाण्डुलिपियों में से एक की नकल-प्रति (Copy) विदेश के केम्बे देश के स्टम्भाटीर्थ द्वारा 1616ई. में की गई थी।

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