Parad Samhita (पारदसंहिता)
₹990.00
Author | Niranjan Prasad |
Publisher | Khemraj Sri Krishna Das Prakashan, Bombay |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2023 |
ISBN | - |
Pages | 549 |
Cover | Hard Cover |
Size | 23 x 3 x 30 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | KH0025 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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पारदसंहिता (Parad Samhita) यह बात सबको विदित ही है कि मुसलमानो के राज्य के समय में उद्धत बादशाहों से हिन्दुओं के उत्तम २ ग्रन्थ हिमाम में जलवा दिये गये इसी कारण इस वर्तमान समय में उत्तम ग्रन्थों का मिलना असम्भव सा हो गया है। और जो कुछ उपलब्ध भी होते हैं वह खण्डित प्रतीत होते हैं। क्योंकि उनमें रस की प्रक्रिया पूर्णतया वर्णन नहीं की गई मालूम होती है। अतएव श्रीमान् बाबू निरञ्जन प्रसादजी वकील ने उत्कट परिश्रम और द्रव्यव्यय से जगत् के लाभार्थ इस पारद संहिता का संग्रह कर और मुझसे भाषानुवाद बनवाना आरम्भ कर दिया, परन्तु बड़े शोक का स्थल है कि जब तब भाषानुवाद का प्रारम्भ ही हुआ था कि श्रीमान् बाबुसाहव का सन्निपातज्वर से देहान्त हो गया। सज्जनो! यही एक भारतवर्ष के मन्दभाग्य का लक्षण है कि जो २ इसके उद्धार के लिये उद्योग करते हैं वह सब प्रायः अल्पायु ही होते हैं। हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि हे परात्मन्! आप स्वर्गीय श्रीमान् बाबुसाहव की आत्मा को शान्ति प्रदान करो। बाबूजी के मृत्यु के पश्चात् उनकी धर्मपत्नी श्रीमति अशर्फी देवीजी, उनके जामाता श्रीमान् साह रघुनन्दनशरणजी रईस ठाकुरद्वारे वाले श्रीमान् कृष्णदासजी (जो कि श्रीमति अशर्फी देवीजे के भतीजे हैं) बिसौलीवाले तथा बाबूसाहब के आम मुस्तआर मु० चम्पारामजी साहब ने मुझको पुनः प्रोत्साहित कर इस ग्रन्थ के भाषानुवाद को समाप्त कराया। इस ग्रन्थ में ६० अध्याय हैं जिनमें रसशाला का बनाना, रसशास्त्र की उत्तमता, रस की उत्पति, रस के भेद, साधारणशोधन, अष्टसंस्कार, यन्त्रकल्पना, कोठी, पुट, खरल और मूषा आदि बनाने का प्रकार, रससिद्धि के लिये सामग्री का संग्रह करना, गन्धकजारण, अभ्रकजारण, गर्भद्रुति, बाह्यद्रुति, जारण, सारण, क्रामण, वेध, भक्षणविधि, धातुभस्म, सत्त्वद्द्रुति, रस उपरसशोधन, भस्म, सत्त्व और उत्तमोत्तम रसों का संग्रह तथा जही बूटियों का परिचय और भी अनेक प्रकरण अत्यन्त परिश्रम के साथ लिखे गये गये हैं।
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