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Patrakarita Tab Se Ab Tak (पत्रकारिता तब से अब तक)

70.00

Author Dhananjay Chopada
Publisher Uttar Pradesh Hindi Sansthan
Language Hindi
Edition 1st edition, 2007
ISBN 978-81-89989-00-2
Pages 118
Cover Paper Back
Size 14 x 1 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code UPHS0015
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Description

पत्रकारिता तब से अब तक (Patrakarita Tab Se Ab Tak) आधुनिक विश्व में शोषित-पीड़ित जनता के जो भी महान आन्दोलन और संघर्ष हुए, उनके विभिन्न माध्यमों में पत्रकारिता की उल्लेखनीय भूमिका रही है। अतीत में भी पत्रकारिता का यह योगदान कम नहीं रहा है। ऐसे में उसकी जो जनपक्षधर छवि बनी है, उसके चलते स्वभाविक रूप से उसे ‘समाज के चौथे स्तम्भ’ की जो मानद पहचान मिली, वह अनायास नहीं है। जनता के दुख-दर्दों को शब्द देने, जिम्मेदार व्यवस्था तक उन्हें पहुँचाने और उनका हल खोजने में सराहनीय भूमिका के चलते पत्रकारिता की अत्यन्त विशिष्ट पहचान बनी और देश की आजादी के संघर्ष में इसका यह योगदान चरम पर था। जिस विद्वता, सादगी और नैतिक मापदंडों पर तत्कालीन पत्रकारों ने दृढ़ता से आगे बढ़ कर इस क्षेत्र को सराहनीय पहचान दी, वह अतुलनीय है। आज भी उसका यह महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है और अब इलेक्ट्रानिक मीडिया के पदार्पण के साथ पत्रकारिता एक बिल्कुल नये युग में प्रवेश कर रही है।

स्पष्ट है कि ऐसे में पत्रकारिता की आन्तरिक बुनावट कम महत्वपूर्ण नहीं है और उसे समझना इस क्षेत्र में रुचि या कदम रखने वाले किसी भी जागरूक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। अब पत्रकारिता के प्रिंट व इलेक्ट्रानिक क्षेत्रों की सारगर्भित जानकारी देने और प्रशिक्षित करने वाले अनेक संस्थान और विभाग इस दिशा में कार्यरत हैं। इसके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रचनाएं व पुस्तकें अधिक नहीं हैं। इस कमी को पूरा करने में श्री धनंजय चोपड़ा की यह पुस्तक ‘पत्रकारिताः तब से अब तक’ अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है। श्री चोपड़ा पुराने पत्रकार हैं और इस क्षेत्र का न केवल उन्हें व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त है बल्कि इससे जुड़े समकालीन सवालों आदि पर भी नियमित लेखन रत रहे हैं।

इस पुस्तक ‘पत्रकारिताः तब से अब तक’ को 12 अध्यायों में बाँटा है और इसके दौरान पत्रकारिता की परिभाषा से लेकर नई प्रवृत्तियों तक सभी पहलुओं पर उनकी कलम अत्यन्त प्रभावी रही है। समाचार क्या है, सामान्य समाचारों के अतिरिक्त साक्षात्कार व फीचर सरीखे उसके कितने प्रकार हैं और उन्हें कैसे प्रस्तुत किया जाय, समाचार के स्रोत से लेकर उनकी भाषा आदि पर भी विद्वान लेखक ने भरपूर प्रकाश डाला है। इतना ही नहीं, फोटो पत्रकारिता व अनुवाद आदि के साथ-साथ समाचार पत्रों में उनकी प्रस्तुति व तकनीकी शब्दों आदि की भी उपयोगी जानकारी यह पुस्तक देती है। पुस्तक के अन्त में फोटो पत्रकारिता का सविस्तार उल्लेख इस पुस्तक के महत्व को और बढ़ता हैं।

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