Raghuvansh Mahakavyam 13-14 Sarg (रघुवंशमहाकाव्यम् 13-14 सर्गः)
₹40.00
Author | Dr. Shiv Prasad Sharma |
Publisher | Bharatiya Vidya Sansthan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 1st edition |
ISBN | 81-87415-04-5 |
Pages | 126 |
Cover | Paper Back |
Size | 12 x 1 x 18 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | BVS0153 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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रघुवंशमहाकाव्यम् 13-14 सर्गः (Raghuvansh Mahakavyam 13-14 Sarg) कालिदास की कृतियों के क्रम में ‘रघुवंश महाकाव्य’ का ‘तीसरा स्थान’ है। प्रथम दो कृतियां हैं- ‘कुमारसंभव’ और ‘मेघदूत’। ‘रघुवंश’ कालिदास रचित महाकाव्य है। इसमें ‘उन्नीस सर्ग’ हैं, जिनमें रघुकुल के इतिहास का वर्णन किया गया है। महाराज रघु के प्रताप से उनके कुल का नाम ‘रघुकुल’ पड़ा। रघुकुल में ही राम का जन्म हुआ था। रघुवंश के अनुसार दिलीप रघुकुल के प्रथम राजा थे, जिनके पुत्र रघु द्वितीय थे। उन्नीस सर्गों में कालिदास ने राजा दिलीप, उनके पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज, अज के पुत्र दशरथ, दशरथ के पुत्र राम तथा राम के पुत्र लव और कुश के चरित्रों का वर्णन किया है।
‘रघुवंश‘ कालिदास की सर्वाधिक प्रौढ़ काव्यकृति है। ‘कुमारसम्भव’ की तुलना में इसका फलक विस्तीर्णतर है। अनेक चरित्रों और नाना घटना प्रसंगों की वज्रसमुत्कीर्ण मणियों को कवि ने इसमें एक सूत्र में पिरों दिया है और उनके माध्यम से राष्ट्र की गौरवशाली परम्पराओं, आस्थाओं और संस्कृति की महतनीय उपलब्धियों की तथा समसामयिक सामंतीय समाज के अध:पतन की महागाथा उज्ज्वल पदावली में प्रस्तुत कर दी है। दिलीप और रघु जैसे उदात्त चरित्रों के आख्यान से आरम्भ कर राम के चरित्र को भी रघुवंश प्रस्तुत करता है और ‘अग्निवर्ण’ जैसे विलासी राजा को भी।
तेरहवां सर्ग राम-सीता व लक्ष्मण के पुष्पक विमान द्वारा अयोध्या प्रत्यागमन तथा भरत मिलन का चित्रण है।
चौदहवां सर्ग सीता गर्भधारण एवं राम द्वारा सीता परित्याग, लक्ष्मण का सीता को वाल्मीकि आश्रम में पहुँचाने के वृत्तांत को प्रस्तुत करता है।
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