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Raghuvansh Mahakavyam Dwitiya Sarg (रघुवंशमहाकाव्यम् द्वितीयः सर्गः)

60.00

Author Pt. Ramchandra Jha
Publisher Chaukhambha Sanskrit Series Office
Language Hindi & Sanskrit
Edition 2023
ISBN -
Pages 104
Cover Paper Back
Size 14 x 2 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code CSSO0534
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Description

रघुवंशमहाकाव्यम द्वितीय सर्ग (Raghuvansh Mahakavyam) पुस्तक संस्कृत साहित्य का एक अनमोल ग्रन्थ है। जिसके संपादक एवं हिंदी व्याख्याकार पंडित रामचंद्र झा व्याकरणाचार्यः जी है। यह पुस्तक श्रीमल्लिनाथ विरचित ‘संञ्जीविनि’ सहित-अन्वय-‘इन्दुमती’ संस्कृत-हिन्दी-व्याख्या-प्रश्नोतरादिसहितम तथा महाकवि-कालिदास विरचित हिंदी व्याख्या सहित है। इस पुस्तक में कुल १०४ पृष्ठ है, जो पेपरबैक संस्करण में उपलब्ध है। वर्त्तमान में पुस्तक का द्वितीय: सर्गः उपलब्ध है जो २०२३ में प्रकाशित है। यह पुस्तक चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस द्वारा प्रकाशित की गई है।

महाकवि कालिदास विरचित रघुवंश-संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी समो परोक्षाओं में पाठ्य निर्धारित है। इसकी मल्लिनाथी टीका सर्वमान्य है। रघुवंश की छात्रोपयोगी टीकाएँ भी निकल चुकी हैं, पर वे सब मल्लिनाथो टीका का पृष्ठ-पेषण मात्र करती हैं। ‘इन्दुमती’ टीका में प्रन्थाशय को पूर्वापर सन्दर्भ दे-दे कर सरल सुबोध शब्दों में लिखा गया है। इस टोका की ‘व्युत्पत्ति’ मात्र का अध्ययन कर लेने पर श्लोकों के प्रतिपद का अर्थ समझ में आ जायगा। परीक्षा में पूछे गये या पूछे जाने वाले सभी समालोचनात्मक प्रश्नों के गवेषणात्मक उत्तर प्रति सर्ग के पर्यालोचन में लिखे गये हैं। जो छात्रों के लिए अधिक ज्ञानवर्धक है।

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