Raghuvansh Mahakavyam Pratham Sarg (रघुवंशमहाकाव्यम् प्रथमः सर्गः)
₹65.00
Author | Shri Devendra Nath Jha |
Publisher | The Bharatiya Vidya Prakashan |
Language | Hindi & Sanskrit |
Edition | 2023 |
ISBN | 978-93-92974-11-3 |
Pages | 100 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 2 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | TBVP0253 |
Other | Dispatched In 1 - 3 Days |
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रघुवंशमहाकाव्यम् प्रथमः सर्गः (Raghuvansh Mahakavyam Pratham Sarg) संस्कृतभारती के अमर गायक, कविकुल शिरोमणि महाकवि कालिदास के विषय में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। ‘रघुवंशमहाकाव्यम्’ इनकी सर्वोत्कृष्ट कृति है। इक्ष्वाकुवंश के प्रतापीराजा ‘रघु’ जिनकी उदारता, वैभव और पराक्रम विश्वविदित है, उनके महनीय वंश का वर्णन इस महाकाव्य में हुआ है। महाराज रघु की तीसरी पीढ़ी में महाराज दशरथ तथा उनके पुत्र भगवान् श्री राम की कीर्त्तिपताका से पूरा मानव-समुदाय गौरवान्वित है। रघुवंश महाकाव्य के प्रथम सर्ग में महाराज रघु के पिता दिलीप और सुदक्षिणा की विभूति, सन्तान न होने की व्यथा, गुरु वसिष्ठ के आश्रम पर पहुँचकर अपनी चिन्ता का निवेदन तथा गुरु वसिष्ठ द्वारा राजा को पुत्रप्राप्ति का उपाय बताना ये सारी कथाएँ अत्यन्त मार्मिक ढंग से वर्णित हैं। यह काव्य संस्कृत काव्य रसिक सहृदय जनों तथा संस्कृतप्रेमी छात्रों द्वारा अति आदरणीय होगा। प्रसङ्ग, अन्वय, सञ्जीवनी, संस्कृत व्याख्या, वाच्य परिवर्तन, चन्द्रिका हिन्दी व्याख्या, समास, कोश, शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद के माध्यम से श्लोकों के भावों का स्पष्टीकरण इस काव्य की अन्यतम विशेषता है।
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