Rashiya Bolti Hai Set Of 2 Vols. (राशियाँ बोलती हैं 2 भागो में)
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Author | Sri Setubandhu Rameshwar Mishra |
Publisher | Sampurnananad Sanskrit Vishwavidyalay |
Language | Hindi |
Edition | 2nd edition |
ISBN | 81-7270-216-7 |
Pages | 494 |
Cover | Paper Back |
Size | 15 x 4 x 23 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | SSV0011 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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राशियाँ बोलती हैं 2 भागो में (Rashiya Bolti Hai Set Of 2 Vols.) भारतीय ज्योतिष के स्कन्धत्रय-सिद्धान्त, होरा एवं संहिता अथवा स्कन्धपञ्च-सिद्धान्त, होरा, संहिता, प्रश्न एवं शकुन-अङ्ग माने गये हैं। यदि विराट् पञ्चस्कन्धात्मक ज्योतिष का विश्लेषण किया जाय तो आज का मनोविज्ञान, जीवविज्ञान, पदार्थविज्ञान, रसायनविज्ञान तथा चिकित्साविज्ञान आदि भी इसी के अन्तर्भूत हो जाते हैं। होरा का दूसरा नाम जातकशास्त्र भी है। जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति के अनुसार मानव जीवन के सुख-दुःख, इष्ट-अनिष्ट, उन्नति-अवनति तथा भाग्योदय आदि समस्त शुभाशुभ का वर्णन इस शास्त्र में रहता है। इसमें विस्तारपूर्वक विभिन्न दृष्टिकोणों से फलकथन की प्रणाली बतायी गयी है। इस शास्त्र के प्रधान आचार्य वराहमिहिर, नारचन्द्र, सिद्धसेन, ढुण्ढिराज, केशव आदि हैं। आचार्य वराह ने इस शास्त्र में एक नवीन समन्वय की प्रणाली चलायी है। नारचन्द्र ने ग्रह एवं राशियों के अनुसार भाव तथा दृष्टि के समन्वय एवं कारक, मारक आदि ग्रहों के सम्बन्धों की अपेक्षा से फल-प्रतिपादन की प्रक्रिया का प्रचलन किया है। श्रीपति, श्रीधर आदि होरा-शास्त्रकारों ने ग्रहबल, ग्रहवर्ग, विंशोत्तरी आदि दशाओं के फलों को भी इस शास्त्र की परिभाषा के अन्तर्गत माना है।
आधुनिक विज्ञान के इस युग में भी इस शास्त्र की उपयोगिता अक्षुण्ण बनी हुई है। पाश्चात्त्य जगत् में भी प्राचीन काल से ही इस शास्त्र का प्रचार-प्रसार, अध्ययन-अध्यापन तथा शोधकार्य होता रहा है। आधुनिक विज्ञान के अध्येताओं ने भी ज्योतिष विज्ञान पर अत्यधिक शोधपूर्ण कार्य किया है। इसी क्रम में ‘राशियाँ बोलती है’ इस शोधपूर्ण ग्रन्थ के लेखक श्री सेतुबन्ध रामेश्वर मिश्र का प्रयास स्तुत्य है। इन्होंने प्राचीन ऋषि-महर्षियों के ग्रन्थों तथा आधुनिक विद्वानों के ग्रन्थोदधियों का आलोडन कर इस पञ्चाध्यायात्मक ग्रन्थ का प्रणयन किया है। ग्रन्थ के इस प्रथम भाग में लेखक ने ग्रह-नक्षत्र आदि का सामान्य परिचय तथा द्वादश भावों के द्वारा विचारणीय विषय वस्तु का प्रतिपादन आधुनिकतम रीति से किया है। परिशिष्ट-भाग में राशिचक्र एवं ग्रहों की अनेक विशेषताओं को सूचीबद्ध किया गया है।
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