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Sahitya Ka Itihas Darshan : Sanrachna Evam Siddhant (साहित्य का इतिहास दर्शन : संरचना एवं सिद्धांत)

165.00

Author Dr. Shalini Mulchandani
Publisher Rajasthan Hindi Granth Academy
Language Hindi
Edition 1st edition, 2014
ISBN 978-93-5131-091-4
Pages 293
Cover Paper Back
Size 13 x 2 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code RHGA0061
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Description

साहित्य का इतिहास दर्शन (Sahitya Ka Itihas Darshan) ऐतिहासिक दृष्टि से साहित्य के अनुशीलन के लिए साहित्य के ऐतिहासिक स्वरूप और इसके सामाजिक प्रयोजन को पहचानना जरूरी है, क्योंकि साहित्यिक कृतियाँ इतिहास के गर्भ से ही उत्पन्न होती हैं और इतिहास रचती हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का उद्देश्य ऐतिहासिक दृष्टि से साहित्य के विकास की व्याख्या करना है। साहित्य का इतिहास सामाजिक इतिहास से सम्बद्ध है और साहित्यिक कर्म की पूरी प्रक्रिया सामाजिक क्रिया-कलापों का ही एक विशिष्ट रूप है। इसी रूप में साहित्य के इतिहास का अनुशीलन करने पर साहित्य के इतिहास लेखन की सामाजिक सार्थकता प्रमाणित हो सकती है। इतिहास मानवीय क्रियाकलापों के साथ उसके मानसिक और सांस्कृतिक पक्षों से भी जुड़ा है। इस कारण इतिहास दर्शन के साथ-संस्कृति दर्शन और समाज दर्शन एकमेव हो जाते हैं।

महान् रचनाओं के कालजयीपन की क्षमता इतिहास से ही प्राप्त होती है। इतिहास प्रक्रिया महानता का उद्घोष करती है। इस तरह महान् रचनाओं और रचनाकारों के उद्गम, प्रेरणा स्रोत और अस्तित्व को समझने के लिए ऐतिहासिक दृष्टि आवश्यक है। इतिहास अतीत और उसकी स्मृतियों से जुड़ा है और अतीत की स्मृतियाँ सदियों तक अंकित रहती हैं। इतिहास हमें वर्तमान और भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है कि जब तक स्मृतियाँ जीवित हैं, अतीत जिन्दा है, मानव संवेदनाएँ भी मर नहीं सकतीं। इतिहास लेखन का एकमात्र ध्येय सम-सामयिकता का निर्वाह है। प्रत्येक युग में इतिहास लेखन की आवश्यकता समसामयिक सामाजिक उपयोगिता एवं मानवता की मंगल आकांक्षा में निहित है। प्रस्तुत ग्रंथ इस दृष्टिकोण की पूर्ति करता है।

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