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Sahriya : Samaj Evam Sanskriti (सहरिया : समाज एवं संस्कृति)

115.00

Author Dr. Vivek Shankar
Publisher Rajasthan Hindi Granth Academy
Language Hindi
Edition 1st edition, 2014
ISBN 978-93-5131-069-3
Pages 165
Cover Paper Back
Size 13 x 1 x 21 (l x w x h)
Weight
Item Code RHGA0007
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Description

सहरिया : समाज एवं संस्कृति (Sahriya  Samaj Evam Sanskriti) सहरिया जनजाति….। राजस्थान की एकमात्र ‘आदिम जनजाति’ (Primitive Tribal)। ऊषा के प्रागैतिहासिक काल से यह जनजाति विकास और शिक्षा से कोसों दूर तथा अभाव एवं तंगहाली से ग्रस्त है। निर्धनता, बेकारी, बेरोजगारी एवं जीविकोपार्जन की समस्याएँ ही इनके जीवन के विविध दुःख-दर्द का अफसाना है। यह जनजाति अपने रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार, संस्कृति, रस्मों-रिवाज, शिक्षा, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक भावनाओं को आत्मसात की हुई आज भी आदिम अवस्था में है, जो उन्हें पुरखों से विरासत के रूप में प्राप्त हुए हैं।

चिकित्सा, शिक्षा, व्यवसाय, सड़क, पेयजल जैसी बुनियादी समस्याओं से नित्यप्रति संघर्ष एवं आज के दौर में शोषण एवं हाली-प्रथा के शिकार राजस्थान के सहरिया दुःख-दर्द एवं अभावों में भी मानवता को जो महत् संदेश देते हैं, वह श्लाघनीय एवं अनुकरणीय है। चोरी, डकैती, हिंसा, लूटपाट, अपहरण इत्यादि तमाम अपराधों से कोसों दूर रहने वाली सहरिया जनजाति के लोगों को भूखे मरना मंजूर है परन्तु भीख माँगकर अथवा अपराध- कार्य में लिप्त होकर जीवन गुजारना गवारा नहीं। ईमानदारी, भोले, सरल स्वभाव की इस जनजाति के लोगों की पहचान उनके समाज, धर्म, लोक- संस्कृति सम्बन्धित विशेषताओं के साथ-साथ उनके स्वांग-नृत्य, चित्रकला, संगीतकला, शिल्पकला, वाचिक परम्पराओं, लोकगीतों, लोककथाओं एवं लोकगाथाओं इत्यादि विविध रूपों में प्रतिबिम्बित होती है। सचमुच इनसे रु-ब-रु होना दिलचस्प, सुखद अनुभूति एवं आनन्द का विषय है।

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